Book Title: Karnanuyog Praveshika
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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३६
४२२
३२८
४०३
विषयानुक्रमणी प्रश्नांक
प्रश्नांक संख्यामानके भेद
२२ सम्यग्मिथ्यादृष्टि गुणस्थानमें संख्या अनुयोगमें कथन
भाव
४३२ संज्वलन कषाय
४६७ सम्यग्मिथ्यादृष्टि और असंयत संज्ञा
१६४ सम्यग्दृष्टि जीवोंका स्पर्शन ४१० संज्ञाके भेद
१६५ सयोगकेवली गुणस्थान । संज्ञो
३८१ सयोगकेवलो गुणस्थानका संज्ञीके गुणस्थान
३८२ काल संयम
३२७ सयोगकेवली गुणस्थानका संयम मार्गणाके भेद
अन्तरकाल
४२६ संयमासंयम
३३५ सयोगकेवली गुणस्थानके संयतासंयत जीवोंका काल ४१८
जीवोंकी संख्या संयतासंयत जीवोंका स्पर्शन ४११
सयोगकेवली गुणस्थानका संयतासंयत आदि गुणस्थानोंमें
बन्ध जीव संख्या
३६८ सयोगकेवली गुणस्थानकी संयतासंयत जीवोंका कालमें
बन्धव्युच्छित्ति
६५७ भाव
सयोगकेवली गुणस्थानका संस्थान नाम और आनुपूर्वी नाममें अन्तर
सयोगकेवली गुणस्थानमें संहनन नामकर्म
४८६
उदयव्युच्छित्ति सकल प्रत्यक्ष
३२१
सयोगकेवली गुणस्थानमें सचित्त योनि आदिका स्वरूप १७६
सत्व सत्त्व अथवा सत्ता
सप्रतिष्ठित प्रत्येक सत्त्व अथवा सत्ताके भेद
सप्रतिष्ठित अप्रतिष्ठितको सत्प्ररूपणामें कथन
पहचान
२४० सत्य मनोयोग आदिका स्वरूप २४६
सम्मूछन जन्म सदवस्था रूप उपशम
६०१ समुद्घात
२७२ सम्यक्त्व ३५२ समुद्घातके भेद
२७३ सम्यक्त्व मार्गणाके भेद ३५३ सभी केवलो क्या समुद्घात सम्यक्-मिथ्यादृष्टि गुणस्थान
करते हैं
२७६ (मित्र) का अन्तरकाल ४२५ सम्यक्त्व प्रकृति सम्यग्मिथ्यादृष्टि गुणस्थान सम्यक्त्व प्रकृतिका नाम सम्यजीवोंका काल ४१५ क्त्व क्यों
४५६
४३४
उदय
६८४
७०५
२०८
५७२
३८६
४५८
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