Book Title: Karmagrantha Part 3 Bandh Swamitva Nama Tika
Author(s): Devendrasuri, Abhayshekharsuri, Dhirajlal D Mehta
Publisher: Jain Dharm Prasaran Trust Surat

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Page 10
________________ अड उवसमि चउ वेयगि, खइए इक्कार मिच्छतिगि देसे । सुहुमि सठाणं तेरस, आहारगि नियनियगुणोहो ॥ २०॥ परमुवसमि वढेंता, आउ न बंधंति तेण अजयगुणे, देवमणुआउहीणो, देसाइसु पुण सुराउ विणा ॥ २१॥ ओहे अठ्ठारसयं, आहारदुगूण आइलेसतिगे । तं तित्थोणं मिच्छे, साणाइसु सव्वहिं ओहो ॥ २२ ॥ तेऊ नरयनवूणा, उज्जोयचउनरयबार विणु सुक्का । विणु नरयबार पम्हा, अजिणाहारा इमा मिच्छे ॥ २३॥ सव्वगुणभव्वसन्निसु, ओहु अभव्वा असन्निमिच्छिसमा । सासणि असन्नि सन्निव, कम्मणभंगो अणाहारे ॥ २४॥ तिसु दुसु सुक्काइ गुणा, चउ सग तेरत्ति बन्धसामित्तं । देविंदसूरिलिहियं, नेयं कम्मत्थयं सोउं ॥ २५ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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