Book Title: Karmagrantha Part 1 2 3 Karmavipaka Karmastav Bandhswamitva
Author(s): Devendrasuri, Sukhlal Sanghavi
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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गाथा
पृष्ठ
विषय पर्याप्ति का स्वरूप और उसके भेद लब्धिपर्याप्त और करण पर्याप्त का स्वरूप प्रत्येक, स्थिर, शुभ, सुभग नामकर्म का स्वरूप सुस्वर, आदेय, यश:कीर्ति नामकर्म तथा स्थावरदशक का स्वरूप लब्ध्यपर्याप्त और करणा पर्याप्त का स्वरूप गोत्र और अन्तरायकर्म के भेद वीर्यान्तराय के बालवीर्यान्तराय आदि तीन भेद अन्तराय कर्म का दृष्टान्त-स्वरूप मूल आठ और उत्तर १५८ प्रकृतियों की सूची बन्ध आदि की अपेक्षा से आठ कर्मों की उत्तर प्रकृतियों की सूची ज्ञानावरण और दर्शनावरण के बन्ध हेतु सातावेदनीय तथा असातावेदनीय के बन्ध के कारण दर्शनमोहनीय कर्म के बन्ध के कारण । चारित्र मोहनीय और नरकायु के बन्ध हेतु तिर्यश्च की आयु तथा मनुष्य की आयु के बन्ध हेतु देवायु और शुभ-अशुभ नाम के बन्ध हेतु तीन प्रकार का गौरव गोत्र कर्म के बन्ध हेतु आठ प्रकार का मद अन्तराय कर्म के बन्ध हेतु तथा उपसंहार कर्मग्रन्थ भाग-२
प्रस्तावना मंगलाचरण
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