Book Title: Karmagrantha Part 1 2 3 Karmavipaka Karmastav Bandhswamitva Author(s): Devendrasuri, Sukhlal Sanghavi Publisher: Parshwanath VidyapithPage 12
________________ (११) विषय गाथा पृष्ठ ४३-४४ ३६ به प्रकृति-बोधक शास्त्रीय परिभाषायें २८-२९ पिण्ड प्रकृतियों के भेदों की संख्या नामकर्म के भिन्न-भिन्न अपेक्षा से ६३, १०३ और ९७ भेद बन्ध आदि की अपेक्षा से कर्म प्रकृतियों की अलगअलग संख्यायें गति, जाति और शरीर नामकर्म से भेद उपाङ्ग नामकर्म के तीन भेद बन्धन नामकर्म के पाँच भेद शरीरों के विषय में सर्व-बन्ध और देश-बन्ध का विचार संघातन नामकर्म का दृष्टान्तपूर्वक स्वरूप बन्धन नामकर्म के पन्द्रह भेद संहनन नामकर्म के छह भेद ३८-३९ संस्थान नामकर्म के छह भेद और वर्ण नामकर्म के पाँच भेद गन्ध, रस और स्पर्श नामकर्मों के भेद वर्णादि चतुष्क की शुभ अशुभ प्रकृतियाँ आनुपूर्वी और विहायोगति नामकर्म के भेद तथा गति-द्विक आदि परिभाषायें पराघात और उछ्वास नामकर्म का स्वरूप आतप नामकर्म का स्वरूप उद्योत नामकर्म का स्वरूप अगुरुलघु और तीर्थकर नामकर्म का स्वरूप निर्माण और उपघात नामकर्म का स्वरूप त्रस, बादर और पर्याप्त नामकर्म का स्वरूप Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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