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कानजीस्वामि-अभिनन्दन ग्रंथ
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હુકમી ચંદ જી શેઠ બો લે છે.
( સેનગઢમાં ગુરુદેવના ચરણ સમીપ હુકમીચંદજી શેઠ બેઠા છે. )
જૈન સમાજનો આ બેતાજ બાદશાહ આજે હીરક જયંતી વખતે આપણી ? વચ્ચે નથી, પરંતુ ગુરુદેવ સંબંધી તેમના ઉદ્દગારો આજે યાદ આવે છે. પહેલી વખત સં. ૨૦૦૧ માં સેનગઢ આવ્યા ત્યારે ગુરુદેવનું પ્રવચન સાંભળનાં-સાંભળતાં આનંદિત થઈને તેઓ બોલી ઉઠયા હતા કે :
"कुंदकुंद भगवानने तो शास्त्रोमें सब कहा है किन्तु उसका रहग्य समझाने के लिये आपका जन्म है।" "सम्यग्दृष्टिके बिना कोई रह बात नहीं समझ सकता । मिथ्याष्टि-अज्ञानी जीव आपकी बात नहीं वकार करता, सम्यग्दृष्टि जैसे जीव ही आपकी बात समझ सकते हैं। हमको बहत आनन्द आता है।"
“अहो ! सभाजनों ! आपका बड़ा मान्य है कि आप सत्पुरुषके अध्यात्म उपदेशका बड़ी रुचिसे नित्य लाभ ले रहा हो; मैं तो तुच्छ आदमी हूँ, आप तो बड़े भाग्यवान्
हो । हम तो अल्प लाभ ले सके हैं, तो भी हमारे आनन्दका क्या कहूँ ? यदि इस १ अध्यात्मज्ञानके लिये मेरा सब कुछ अर्पण किया जाय तो भी कम है ।”
"महाराजजीका यह अद्भुत तत्त्वज्ञान तमाम दुनियामें सब भाषामें प्रचार होवे. { ऐसी हमारी भावना है।"