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जो सहता है, वही रहता है शक्ति और सहनशीलता
शक्ति के बिना कोई भी प्राणी जीवित नहीं रह सकता। अपने अस्तित्व को वही बनाए रख सकता है, जो सक्षम है। जैसे यह बात सृष्टि के बारे में लागू होती है, वैसे ही यह नियम अध्यात्म पर भी लागू होता है। आध्यात्मिक जीवन में वही व्यक्ति टिकता है, जो सहता है, जो शक्तिशाली होता है, जिसमें सहनशीलता होती है। शक्ति के स्रोत ___ शक्ति और सहिष्णुता, दोनों साथ-साथ जुड़े हुए हैं। हमें खोजना है कि शक्ति के स्रोत कहाँ हैं? कितने हैं? सहन करो, यह उपदेश बहुत अच्छा है, पर कहने मात्र से सहन करने की शक्ति उपलब्ध नहीं होती। जब तक शक्ति के स्रोत नहीं खुल जाते, तब तक सहन करने की बात संभव नहीं बनती। हम शक्ति के स्रोतों की खोज करें। हमारे अध्यात्म के आचार्यों ने बहुत खोजें की थीं, वे चाबियाँ आज भी प्राप्त हो सकती हैं, पर हम भूल गए हैं कि वे कहाँ रखी हुई हैं? शक्ति के केन्द्र
आज मस्तिष्क के बारे में बहुत खोजें चल रही हैं। वैज्ञानिकों द्वारा मस्तिष्क के दो केन्द्र खोजे गए हैं। एक है सुख का केन्द्र और दूसरा है दुःख और विषाद का केन्द्र । बंदरों पर प्रयोग किया गया। एक बंदर के आनंद के केन्द्र पर इलेक्ट्रॉड लगा दिया गया। उसे इतना आनंद आया कि वह स्वयं बार-बार अपने आप इलेक्ट्रॉड लगाने लगा। इसी प्रकार दूसरे बंदर के दुःख के केन्द्र पर इलेक्ट्रॉड लगाया गया, वह उदास निराश रहने लगा। वैज्ञानिकों ने आनंद का केन्द्र भी खोज लिया, दुःख का केन्द्र भी खोज लिया। शक्ति के केन्द्र की खोज अभी शेष है। शक्ति के रूप __ हमारे भीतर शक्ति के बहुत सारे केन्द्र हैं। एक आदमी शरीर से बहुत समर्थ होता है और एक आदमी मनोबल से बहुत समर्थ होता है । ध्यान विचार में एक सुंदर मीमांसा की गई है उत्साह, पराक्रम, चेष्टा, शक्ति, सामर्थ्य, ये सब शक्ति के ही स्वरूप हैं। उत्साह-ऊर्ध्वलोक चिंता
हमारी एक शक्ति का रूप है उत्साह । जब ऊपर की बातों को जानना
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