Book Title: Jinsenacharya krut Harivansh Puran aur Sursagar me Shreekrishna
Author(s): Udayram Vaishnav
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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________________ प्रस्तुत शोध प्रबन्ध में लेखक उदाराम वैष्णव ने अपनी तीक्ष्ण/सूक्ष्म प्रतिभा का परिचय देते हुए बड़ी ही खूबी के साथ दोनों ग्रन्थों का तुलनात्मक अभ्यास प्रस्तुत किया है। इन्होंने इस प्रबन्ध में मात्र सत्य को छुआ है। सांप्रदायिक अभिनिवेश के कारण कहीं भी विषयवस्तु के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। यह इस शोध प्रबन्ध की निष्पक्षता व उसके पूर्ण परिशीलन का परिचायक है। मैं कामना करता हूँ कि इस नवनीत का लाभ उठायें और श्री कृष्ण के उपदेश में से अपने जीवन-व्यवहार को विशुद्धि के धरातल पर चलाकर यात्रा के लक्ष्य-धाम पहुँचायें। मैं श्री वैष्णव को अपना आशीर्वाद देते हुए यह कामना करूँगा कि वे इसी प्रकार के तुलनात्मक अध्ययनों में और जुटें, ताकि भारतीय अस्मिता का निष्पक्ष व : सर्वधर्मसमन्वयकारी व्यक्तित्व उभरे। कुशल भवन साँचोर गणिवर्य मणिप्रभसागर - VIIE