Book Title: Jain Vidya 02 Author(s): Pravinchandra Jain & Others Publisher: Jain Vidya Samsthan View full book textPage 9
________________ 3 आक्रमणों, साम्प्रदायिक उत्पातों, विद्वेषों के समय इस भाषा के हस्तलिखित ग्रंथों को सुरक्षित रखा । अकेले दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी में जैनविद्या संस्थान के पाण्डुलिपि विभाग में ही लगभग 350 पाण्डुलिपियां अपभ्रंश भाषा की हैं जिनमें महाकवि पुष्पदंत के महापुराण, जसहरचरिउ, गायकुमारचरिउ आदि की प्रतियां भी हैं । यह खेद और आश्चर्य का विषय है कि अपभ्रंश भाषा का इतना विशाल और महत्त्वपूर्ण साहित्य होते हुए भी प्रारम्भ में यह प्रायः उपेक्षित रहा । विद्वानों का ध्यान इस ओर गया ही नहीं । प्रसन्नता की बात है कि अब कुछ विद्वानों का ध्यान इस ओर प्रकृष्ट हुआ है और शोध की विभिन्न दिशाओं में कार्य हो रहा है । किन्तु क्षेत्र इतना अधिक विस्तृत है कि उसमें अभी तक जो कुछ हुआ है अथवा किया जा रहा है वह अपर्याप्त है । अभी बहुत कुछ करना शेष है । इस तथ्य को दृष्टि में रखते हुए दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी द्वारा संचालित जैनविद्या संस्थान ने भी इस महत्त्वपूर्ण कार्य में अंशदान करने का निश्चय किया है । फलस्वरूप संस्थान के कुछ विद्वान् अपभ्रंश के कुछ पहलुओं पर कार्य कर रहे हैं । अपभ्रंश साहित्य पर कार्य करनेवाले अन्य विद्वानों को अपनी कृतियां प्रकाश में लाने का अवसर मिल सके इस दृष्टि से जैनविद्या संस्थान ने 'जैनविद्या' पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ किया है । इसका प्रथम अंक 'स्वयंभू विशेषांक' के रूप में पाठकों तक पहुँच चुका है और दूसरा यह अंक 'पुष्पदंत विशेषांक : खण्ड-1' पाठकों के हाथों में है । इस कार्य में जिन-जिन विद्वानों ने अपनी रचनाएं भेजकर, रुचि प्रकट कर तथा संस्थान के निदेशक / पत्रिका के प्रधान-सम्पादक एवं अन्य सहयोगियों ने जो सहयोग प्रदान किया है उन सबके प्रति संस्थान समिति प्रभारी है। समिति के अपने ही सदस्य डॉ. कमलचन्द सोगानी, प्रोफेसर एवं अध्यक्ष - दर्शनशास्त्र विभाग, सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर भी पूर्व की भाँति इस अंक को 'पुष्पदंत विशेषांक' के रूप में प्रकाशित करने के लिए प्रेरणा देने एवं सम्पादन कार्य में सहयोग देने हेतु विशेष धन्यवादार्ह हैं। जयपुर प्रिण्टर्स के प्रोप्राईटर श्री सोहनलाल जैन को भी शुद्ध, सुन्दर एवं कलापूर्ण मुद्रण के लिए धन्यवाद अर्पित है । एसवी - 10 जवाहरलाल नेहरू मार्ग बापूनगर, जयपुर-302004 (डॉ०) गोपीचन्द पाटनी जैनविद्या संस्थान समिति, श्रीमहावीरजी, जयपुरPage Navigation
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