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जैन रामकथाओं के परिप्रेक्ष्य
पुष्पदन्त की रामकथा
-सुश्री प्रीति जैन
" रामकथा भारतीय वाङ्मय का अत्यधिक व्यापक, अतिप्रिय, श्रद्धास्पद एवं रुचिकर विषय रहा है। राम का अनूठा व्यक्तित्व सदैव ही भारतीय जनमानस के आकर्षण का बिन्दु रहा है। उनका चरित्र लोकरंजक तो रहा ही है साथ ही भोग-विलास से परे
आध्यात्मिक जागृति हेतु एक मशाल/प्रकाशस्तम्भ भी है। साहित्य-जगत् उनके आदर्श व अद्भुत व्यक्तित्व से इतना अभिभूत रहा है कि सदियों से साहित्य की प्रत्येक विधा में रामकथा की धारा अविच्छिन्न रूप से प्रवाहित है। संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रश आदि प्राचीन भाषाओं, लोक भाषाओं एवं विभिन्न प्रान्तीय भाषाओं में भी रामविषयक उच्चकोटि की साहित्यिक रचनाएँ प्राप्त होती हैं। पुराण-महापुराण, काव्य, नाटक, उपन्यास, कथाकहानी आदि सभी साहित्यिक विधाओं में रामकथा गुम्फित है। जैन-वैदिक-बौद्ध आदि धार्मिक साहित्य में भी रामकथा को पूर्ण प्रश्रय प्राप्त है। यद्यपि इन धार्मिक, साहित्यिक परम्पराओं में यह कथा विभिन्न रूपों में प्राप्त होती है तथापि इन सब में राम को एक आदर्श मानव के रूप में स्वीकार किया गया है। मर्यादा पुरुषोत्तम विशेषण से विभूषित राम की कथा जनमानस में इतनी अधिक लोकप्रिय और समादृत रही है कि उसका निरूपण न केवल भारतीय अपितु विदेशी साहित्य में भी पूर्ण श्रद्धा व सम्मान के साथ व्यापक/विस्तृत रूप में प्राप्त होता है ।