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6. जैन मन्दिर दबलाना, बूंदी
1. पत्र संख्या 63। वे संख्या 5 |
7. भट्टारकीय भंडार, नागौर
1. पत्र संख्या 57 । ले. काल सम्वत् 1694 |
2. पत्र संख्या 68 । ले. काल सम्वत् 1521 ।
3. पत्र संख्या 59 । ले. काल सम्वत् 1574 4. पत्र संख्या 74 | ले. काल सम्वत् 1487 । 5. पत्र संख्या 59 । ले. काल सम्वत् 1621 । 6. पत्र संख्या 80 | ले. काल सम्वत् 1589 । 7. पत्र संख्या 71 । ले. काल सम्वत् 1651 । 8. पत्र संख्या 74 | ग्रंथ संख्या 1401
हयतिमिरणिय वरकर रिहाणु,
ग सुहाइ उलूयहो उहउ भाणु ।
जैन विद्या
अर्थ – उल्लू को अंधकारसमूह का नाश करनेवाला तथा श्रेष्ठ किरणों का निधान ऐसा उगता हुआ सूर्य अच्छा नहीं
लगता ।
- महापुराण 1.8.5