Book Title: Jain Vidya 02
Author(s): Pravinchandra Jain & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan
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जनविधा 61. (क) जिनवरु सिधहं झाइयइ, रे जीव तुं झाएहि । .
____मोखु महापुरि नीयडौ, भवदुह पाणी देह ॥ . (ख) जोणीरु सिद्धहं साईयउ, अरि क्षियतं झाएहिं ।
मोखु महापुरु णीयडउ, भवदुहु पाणिय देहि ।। 62. (क) असमथु 63. (क) भणहिं 64. (क) निर्मलु न मलु होइ (ख) रण मल्लु न होई 65. (क) त्तिहुयणि अक्खिये 66. (क) आप्पा 67. (ख) होई 68. (ख) वइसाणर कड महि 69. (ख) कुसुमइ 70. (क) परमलु 71. (ख) होई 72. (क) जिउ 73. (ख) तिह देहमइ वसइ जिव 74. (ख) चिरला 75. (ख) कोई 76. (क) बंध विहुणौ देह सिऊ, नर्मलु मलह विहूण । '
कम्मलिणिदलु जिम वंदिजइ, ना तसु पाव नु पुंन ॥ (ख) वंध विइणउ देह सिउ, णिम्मलु मलुहं विहीणु । .
कमलणिदलि जल जिम विंदु जिम, रण वि तसु पाव णु पुण ॥ 77. (क) हरि हरि वंभ न तासु मुणि, मनवुधि लख्यौ न जाई।
मांहि सरीरहं परिठिय, लीजै गुरहं पसाइ ॥ (ख) हरि हर वंभु वि सिव णही, मणु वुद्धि लक्खिउ ण जाई।
मध्य सरीरहे सो वसइ, लीजहिं गुरुहिं पसाई ॥ 78. (क) फास 79. (क) वाहिरै (ख) रस गंध वाहिरऊ 80. (क) विहूणो 81. (ख) सोई 82. (ख) विणु 83. (क) सद्गुरु जानइ कोइ (ख) सहगुरु जाणई सोई 84. (क) सचेयण 85. (क) झाइए (ख) झाइयई 86. (क) तिजिए 87. (ख) परि

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