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साहित्य-समीक्षा
1. श्रावकाचार : रचनाकार- पण्डित टोडरमल । सम्पादन - पण्डित कैलाशचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री । प्रकाशक- वीर सेवा मन्दिर ट्रस्ट प्रकाशन, वाराणसी । पृष्ठ संख्या 92 | साइज-18" ×22"/8 | मूल्य 4.00 रु० । प्रथम संस्करण ।
प्रस्तुत कृति का प्रकाशन "श्रावकाचार" नाम से किया गया है जबकि ! पुस्तक के पृष्ठ 1, 8, 9, तीन स्थानों पर पुस्तक का नाम "ज्ञानानन्द- पूरित नरभरनिजरसश्रावकाचार” स्वयं ग्रन्थकार द्वारा उल्लिखित है । ग्रन्थ दिगम्बर तेरापंथ आम्नाय की मान्यताओं पर आधारित है ।
मुद्रित ग्रंथ की भाषा पं० टोडरमलजी की भाषा के अनुरूप नहीं है । टोडरमलजी के ग्रंथों की भाषा ढूंढारी है जबकि इस ग्रन्थ की भाषा हिन्दी के निकट है । सम्पादक अथवा प्रकाशक किसी ने भी पुस्तक यह उल्लेख नहीं किया है कि ग्रन्थ की मूलभाषा का अनुवाद अथवा हिन्दीकरण किया गया है । इसके अतिरिक्त ग्रंथ में हवाईजहाज ( पृष्ठ 88 ) जैसे आधुनिक उपकरण का भी उल्लेख है जो पं० टोडरमलजी के समय में प्रचलित नहीं था । इन सब कारणों से ग्रन्थ के टोडरमलजी कृत होने में सन्देह को तो स्थान है ही ।
2. ज्ञानसार : रचनाकार - श्री पद्मसिंह मुनि | अनुवादक - सम्पादक पण्डित कैलाशचंद्र सिद्धांतशास्त्री । प्रकाशक- वीर सेवा मन्दिर ट्रस्ट, वाराणसी । पृ० सं० 15 । प्रथम संस्करण । साइज – 18 x22 / 8 । मूल्य 2.50 रु० ।
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प्रस्तुत कृति में ध्यान के भेद, फल, ध्यान के योग्य स्थान आदि का वर्णन है । विषय सुन्दर, संक्षिप्त व सारगर्भित है । ध्यानविषयक जिज्ञासुत्रों के लिए पुस्तक संग्रहणीय एवं मननीय है ।
3. जैन तत्वज्ञान मीमांसा : ( रचयिता ) - डॉ० दरबारीलाल कोठिया । प्रकाशक - वीर सेवा मन्दिर ट्रस्ट प्रकाशन, वाराणसी । प्रथम संस्करण । पृष्ठ संख्या 374 | साइज 20*×30* / 8 । मूल्य 50.00 रु० ।
प्रस्तुत कृति लेखक द्वारा समय-समय पर लिखे गये लगभग 60 निबन्धों का संकलन है । धर्म, दर्शन, न्याय, इतिहास, साहित्य आदि विविध विषयों के अध्ययन हेतु सन्दर्भ ग्रन्थ के रूप में बहुत उपयोगी है। पुस्तक पठनीय एवं पुस्तकालयों तथा मन्दिरों में संग्रहणीय है ।
4. समाधिमररणोत्साह - दीपक : रचनाकार- प्रा० सकलकीर्ति | अनुवादक पं० हीरालाल जैन सिद्धान्तशास्त्री । सम्पादन - डॉ० दरबारीलाल कोठिया । प्रकाशक - वीर सेवा मंदिर ट्रस्ट, वाराणसी । पृष्ठ संख्या 90 । द्वितीय संस्करण | साइज 18"x22"/8 । मूल्य 6.00 रु० ।