Book Title: Jain Vidhi Vidhano Ka Tulnatmak evam Samikshatmak Adhyayan Shodh Prabandh Ssar
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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68...शोध प्रबन्य सार नाम 'भिक्षु' है। जैन मुनि भिक्षा के माध्यम से ही अपना जीवन निर्वाह एवं संयम साधना करते हैं। भिक्षाचर्या के लिए गोचरी, मधुकरी, कापोती वृत्ति, उच्छवृत्ति, एषणा, पिण्डैषणा आदि शब्दों का भी व्यवहार होता है। जैन मुनि के लिए शुद्ध, सात्त्विक एवं निर्दोष आहार ही कल्प्य माना है। विविध अभिग्रह एवं नियमों का पालन करते हुए मुनि को आहारार्थ जाना चाहिए।
प्रस्तुत प्रथम अध्याय में भिक्षाचर्या का अर्थ प्रतिपादन करते हुए भिक्षाचर्या के विविध पर्याय, भिक्षा प्राप्ति के प्रकार, भिक्षा गमन के प्रकार, भिक्षा के अन्य प्रकार, भिक्षाशद्धि की नवकोटियाँ, भिक्षार्थी मुनि के लिए विविध उपमाएँ, आहार एवं आहार सेवन के प्रकार आदि पर प्रकाश डाला है।
इस अध्याय के माध्यम से पाठक वर्ग भिक्षाचर्या के विभिन्न घटकों से परिचित हो पाएगा।
द्वितीय अध्याय भिक्षाचर्या की उपयोगिता एवं उसके रहस्यों को प्रतिपादित करता है। भिक्षाचर्या संत समाज की एक मौलिक क्रिया है। भारतीय भिक्षुओं का जीवन निर्वहन मुख्य रूप से भिक्षा के माध्यम से ही होता है। भारतीय ऋषि मुनियों ने सोच-विचार पूर्वक इस विधि का निरूपण किया है। भिक्षाचर्या के कारण जहाँ मुनि एवं गृहस्थ वर्ग के बीच एक सम्बन्ध बना रहता है वहीं दूसरी तरफ ऋषि-मुनियों को साधना के लिए अनुकूल समय एवं परिस्थितियाँ प्राप्त होती है।
वर्णित अध्याय में भिक्षाचर्या की महत्ता को प्रतिपादित करने हेतु आहार ग्रहण के उद्देश्य, आधुनिक संदर्भो में भिक्षाटन की प्रासंगिकता, भिक्षाचर्या सम्बन्धी अन्य विधियों के हेतु बताए गए हैं। जैसे- मुनि शुद्ध और सात्त्विक आहार क्यों ग्रहण करें? उपाश्रय में प्रवेश करने से पूर्व पाँव प्रमार्जन क्यों? प्रथम भिक्षा हेतु शुभ दिन आवश्यक क्यों? भिक्षाचर्या सम्बन्धी आलोचना दो बार क्यों? श्रमण का आहार गुप्त क्यों? दिगम्बर मुनि द्वारा कर पात्री में ही भोजन क्यों? आदि विविध पक्षों पर प्रकाश डाला गया है। __इस खण्ड के तृतीय अध्याय में वर्तमान युगीन भिक्षाचर्या के औचित्य एवं उसके नियमोपनियम विषयक वर्णन किया गया है। यदि वर्तमान संदर्भो में भिक्षाचर्या के औचित्य पर विचार करें तो आज अधिकांश वर्ग भिक्षाचर्या को अनुचित मानता है। आज की व्यस्त जीवन शैली में मुनि भिक्षाटन एक समस्या