Book Title: Jain Vidhi Vidhano Ka Tulnatmak evam Samikshatmak Adhyayan Shodh Prabandh Ssar
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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130...शोध प्रबन्ध सार
आचार्य हरिभद्रसूरि ने प्रतिष्ठा की परिभाषा करते हुए षोडशक प्रकरण में कहा है
भवति च खलु प्रतिष्ठा निजभावस्यैव देवतोद्देशात् ।
देवता के उद्देश्य से स्व आत्मा में आगमोक्त रीति पूर्वक आत्म भावों की अत्यंत श्रेष्ठ स्थापना करना ही प्रतिष्ठा है। तदनुसार आत्मा में परमात्म पद प्राप्त करने की आवृत्त शक्ति को प्रकट या अभिव्यक्त करने का प्रयास करना प्रतिष्ठा है। ___ यदि प्रतिष्ठा अनुष्ठान की महत्ता के विषय में विचार करें तो गृहस्थ जीवन में जो महत्त्व विवाह का होता है आध्यात्मिक जीवन में वही महत्त्व प्रतिष्ठा अनुष्ठान का है। जिस प्रकार शादी के बाद व्यक्ति की पूरी जिन्दगी ही बदल जाती है वैसे ही प्रतिष्ठा अनुष्ठान के बाद समाज को सत्पथ पर प्रवृत्ति करने की नई दिशा प्राप्त होती है।
प्रतिष्ठा किसकी की जाए? यदि व्यवहारिक स्तर पर चिंतन करें तो प्रतिष्ठाचार्य के हृदयगत भावों की जब जिनप्रतिमा में प्रतिष्ठा होती है तब मात्र मन्दिर की ही प्रतिष्ठा नहीं होती अपितु भाई-भाई में प्रेम की प्रतिष्ठा, परिवार में समन्वय की प्रतिष्ठा, शरीर में स्वास्थ्य की प्रतिष्ठा, हृदय में सुमति और सद्भाव की प्रतिष्ठा, मन मन्दिर में प्रसन्नता की प्रतिष्ठा, देश में सुरक्षा और सदाचार की प्रतिष्ठा, विश्व में शांति और अहिंसा की प्रतिष्ठा तथा मानव मात्र के हृदय में श्रद्धा एवं मानवीय गुणों की प्रतिष्ठा होती है। प्रतिष्ठाचार्य द्वारा इन्हीं भावों से की गई प्रतिष्ठा विश्व कल्याण की सूचक होती है।
प्रतिष्ठाचार्य की गुण सम्पन्नता आवश्यक क्यों? जितना महत्त्व प्रतिष्ठा अनुष्ठान का है उतना ही महत्त्व प्रतिष्ठाकारक आचार्य का है। प्रतिष्ठाचार्य और प्रतिष्ठा विधि दोनों का ही प्रतिष्ठा विधान में महनीय स्थान है। प्रतिष्ठा विधि की शुद्धता जितनी आवश्यक है उससे भी कई अधिक जरूरी है प्रतिष्ठाचार्य की सात्त्विकता, क्योंकि देवी शक्तियों का अवतरण सात्त्विक पुरुषों द्वारा ही किया जा सकता है। उनकी एकाग्रता, निर्भीकता, सतर्कता, कार्य दक्षता एवं ज्ञान गंभीरता ही प्रतिष्ठा विधान को सुफलदायी बनाती है।। ___एक घर का निर्माण कुछ वर्षों या दशकों के लिए होता है। हर आने वाली नई पीढ़ी अपनी आवश्यकता एवं फैशन के अनुसार उसमें परिवर्तन करवाती