Book Title: Jain Vidhi Vidhano Ka Tulnatmak evam Samikshatmak Adhyayan Shodh Prabandh Ssar
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 230
________________ 176...शोध प्रबन्ध सार सरलतापूर्वक एवं शीघ्रातिशीघ्र ठीक की जा सकती है। मुद्रा विज्ञान सकल विश्व एवं मानव जगत के कल्याण के लिए वरदान रूप है। आज आवश्यकता है तो भारतीय ऋषि-मुनियों द्वारा खोजे गए इस विज्ञान के वैज्ञानिक रूप में प्रचार की। इसी लक्ष्य के साथ खण्ड-21 का गुंफन किया गया है। यह खण्ड जन साधारण में प्रचलित मुद्राओं का सविधि वैज्ञानिक स्वरूप एवं अप्रत्याशित लाभों की चर्चा तीन अध्यायों में करता है। प्रथम अध्याय में मुद्राओं से प्रभावित सप्त चक्र आदि के विशिष्ट प्रभाव एवं मुद्रा बनाने के नियम-उपनियम बताए हैं। इस खण्ड का द्वितीय अध्याय आधुनिक चिकित्सा पद्धति में प्रचलित मुद्राओं का प्रासंगिक विवेचन करता है। ___ इस अध्याय में वर्णित मुद्राएँ किसी भी यौगिक आसन में बैठकर दैनिक क्रिया-कलाप आदि करते हुए धारण की जा सकती है। बहुत सी मुद्राएँ ऐसी है जो हर स्थिति में अर्थात सोते-जागते, उठते-बैठते कभी भी और कहीं भी धारण की जा सकती है। इनका लाभ भी यथाशीघ्र प्राप्त होता है। अधिकांश मुद्राएँ 45 मिनट में अपना प्रभाव दिखाना प्रारंभ कर देती है तथा कुछ मुद्राएँ शरीर पर तत्काल भी प्रभाव दिखाती है। इन मुद्राओं को धारण करना भी आसान होता है। प्रस्तुत अध्याय में 33 ऐसी मुद्राओं का विस्तृत वर्णन है जिनका वर्तमान चिकित्सा पद्धति में प्रयोग किया जाता है। इन मुद्राओं का स्वरूप, तदनिर्माण विधि एवं उसके द्वारा प्राप्त होने वाले परिणामों की चर्चा यहाँ की गई है। इन मुद्राओं को पाठक वर्ग बिना किसी विशेषज्ञ की सहायता के भी धारण कर सकते हैं तथा विविध रोगों में आश्चर्यकारी लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इस खण्ड के अंतिम अध्याय में विभिन्न रोगों के निवारण में उपयोगी मद्राओं की सूची दी गई है। एक ही रोग के निवारण हेतु कौन-कौन सी मुद्राएँ उपयोगी हो सकती हैं इसका उल्लेख इस अध्याय के माध्यम से प्राप्त होता है। इस खण्ड का मुख्य लक्ष्य आज के प्रगतिशील युग में अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति है। क्योंकि स्वस्थ तन और मन ही प्रगति को निराबाध रूप में कायम रख सकता है। इस शोध प्रबन्ध का चौथा भाग मुद्रा योग की विश्व व्यापकता एवं प्रभावकता को सिद्ध तो करता ही है। साथ ही दैनिक कार्यों में जागृति लाते हुए

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