Book Title: Jain Vidhi Vidhano Ka Tulnatmak evam Samikshatmak Adhyayan Shodh Prabandh Ssar
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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148...शोध प्रबन्ध सार द्वारा मानव शरीर में ऐसे विचित्र परिवर्तन लाए जा सकते हैं जो आज के विज्ञान के लिए सर्वथा असम्भव है।
आधुनिक विज्ञान सुविधा एवं उन्नति के साथ घबराहट और अशान्ति को भी बढ़ाता है। मुद्रा विज्ञान के द्वारा धर्म के सत्य और वैज्ञानिक सिद्धान्तों का लोगों को समुचित ज्ञान हो सकता है। सामान्य जनता के सर्वतोमुखी विकास में इससे बहुत अधिक सहायता मिल सकती है।
विविध दृष्टियों से मुद्रा योग की महत्ता- आंतरिक जगत बहुत ही सूक्ष्म, अदृश्य एवं अगोचर है। मुद्रा योग के बल पर निःसन्देह उस अन्तर जगत को पहचाना जा सकता है। प्रायः आर्य संस्कृति की प्रत्येक परम्परा यह स्वीकार करती है कि हर आत्मा में अनंत ज्ञान, अनंत सुख, अनंत शक्तियाँ विद्यमान है किन्तु कर्म आवरण के कारण ये शक्तियाँ न्यूनाधिक रूप में सुषुप्त रहती हैं। इन शक्तियों का साक्षात्कार कुछ विशिष्ट साधनाओं के द्वारा हो सकता है। मुद्रायोग एक ऐसी ही साधना है। धार्मिक क्षेत्र के प्रत्येक आवश्यक कर्म, आत्म उपासना, धार्मिक अनुष्ठान, मंत्र साधना आदि शुभ क्रियाएँ मुद्रा योग पूर्वक ही सम्पन्न की जाती है। शरीररस्थ चक्र आदि के जागरण में भी मुद्रा योग विशेष लाभकारी है।
मानसिक मूल्य- मुद्रा सूक्ष्म मानसिक वृत्ति है। अन्तर्मन को मापने का यह थर्मामीटर है। स्थूल विचारों को टटोलने का दिशा यंत्र है। मुद्रा और मन के बीच तादात्म्य सम्बन्ध है। श्रेष्ठ मुद्राएँ मन को अत्यधिक प्रभावित करती हैं। पद्मासन में बैठा हुआ व्यक्ति चाहे जितना यत्न करें किसी की हत्या नहीं कर सकता क्योंकि पद्मासन एक प्रशस्त मुद्रा है और वह अप्रशस्त भावों को टिकने नहीं देती। इसी प्रकार हमारे भीतर जैसे भाव उभरते है हमारी बाह्य आकृति वैसी ही बन जाती है और बाह्य आकृति के अनुसार हमारे आन्तरिक भाव बनते हैं। एक व्यक्ति की आकृति दूसरे व्यक्ति के भावों को परिवर्तित कर देती है। मातापिता द्वारा आशीर्वाद देना, स्नेही जनों का परस्पर गले मिलना सहज ही मन में स्नेह भावों का जागरण करता है। डिप्रेशन, मानसिक असंतुलन आदि के उपशमन में मुद्रा प्रयोग को बहुत उपयोगी माना है।
शारीरिक मूल्य- मुद्रा मानव शरीर रूपी महायन्त्र की नियन्त्रक तालिका अर्थात Switch board है। इनके माध्यम से मानव में मानसिक, बौद्धिक एवं शारीरिक परिवर्तन किए जा सकते हैं।