Book Title: Jain Shwetambar Conference Herald 1918 Book 14
Author(s): Mohanlal Dalichand Desai
Publisher: Jain Shwetambar Conference

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Page 58
________________ ११ मी जैन श्वेतांबर परिषद कमेटी बोर्डका कार्य कान्फरन्स के आगामी अधिवेशन तक करेगी। लाईफ मेम्बर मेनेजिंग कमेटीके एक्स ओफिसिओं मेम्बर गिना जावेंगे । दरखास्त-वकील मोहनलाल दलीचंद देसाई । B. A. . L. B अनुमोदक-बाबू महाराज सिंह बहादुर । (१४) जैनियोंकी संख्या में वृद्धि करनेकी जरूरत । १। जिन लोगोंने अपना असली धर्म छोड़कर अन्यधर्म स्वीकार लिया हो उनकी पुनः जैन धर्ममें सम्मिलित करनेका प्रयत्न करका चाहिये । २। जैन धर्ममें रुचि रखनेवाले ऊंचे वर्णके आर्योको अपने जैन धर्ममें दाखिल करनेके लिये प्रयास करना चाहिये । ३। जिन जिन विषयोंसे शारीरिक आरोग्यता अच्छी रहती है उन विषयोंका ज्ञान अपने जैन कौममे फैलानेका प्रयत्न करना चाहिये । - ४ । बहुत वस्तीवाले बडे शहरोंमें गरीब और मध्यमवर्गके जैन के लिये खास सस्ते भाडेकी चालीयां इमारते बनवानेकी जैन श्रीमन्तोंसे निवेदन करती है। । . ५। जैनियोंमें मृत्युका प्रमाण अधिक होनेके कारण उसको रोकनेके उपाय सोधनेकी कमेटी सुजानगढ़ कान्फरन्समें की गई थी जिसकी रिपोर्ट १० वीं कान्फेन्सकी रिपोर्ट में छपी है, उसके उपर जैन समाजका ध्यान आकर्षित किया जाता है और उसके अनुसार भारतके दूसरे भागोंके लिये भी वैसी ही रिपोर्ट . तैयार करनेको यह कान्फेन्स उक्त कमेटीसे आग्रह करती है । दरखास्त-शेठ लल्लुभाई करमचन्द मुंबई । अनुमोदक-शेठ नागजीभाई गणपत कलकत्ता । (१५) सामान्य और व्यापारिक शिक्षा. १। अपनी जैन कौममें एक भी अशिक्षित जैन नहीं रहने पाबे, इसके लिये खास प्रयत्न करनेकी नीचे लिखी योजनाके उपर ये कान्फरन्स समस्त जैन बन्धुओंका ध्यान आकर्षण करती है। ___२। प्रत्येक ग्राम और नगरके मुखिया जैन अपने स्थानिक जैन विद्यार्थियोंकों शिक्षण प्राप्त करनेके अनुकुल साधन, पुस्तक वगैरहका शीघ्र बन्दोबस्त करनेका प्रयत्न करें। ३। ऐसे दृष्टान्त देखनेमें आते है कि योग्य विद्यार्थियोंको आधारके अभावसे बीचमेही शिक्षणक्रम छोड़ देना पड़ता है। ऐसे विद्यार्थियोंको आवश्यक

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