Book Title: Jain Shwetambar Conference Herald 1918 Book 14
Author(s): Mohanlal Dalichand Desai
Publisher: Jain Shwetambar Conference
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११ मी जैन श्वेतांबर परिषद्,
उनको यह कान्फ्रेन्स धन्यवाद देती है । (२०) जीर्ण मंदिरोद्वार.
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पूना कान्फ्रेन्स में तीर्थ रक्षक कमेटीके मुकरर करनेके लिये ठहराव कीया था जिसको यह कान्फ्रेन्स स्वीकार करती है और कार्य शिघ्रतासे करनेके लिये आग्रह करती है. "
कमेटीका मेम्बरों के नाम. ( वधारनेकी सत्ता साथ ).
१ शेट कस्तुरभाई मणीभाई
१६ सर नसनजी त्रीकमजी
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१७ शेठ मणीभाई दलपतभाई
१८
जीवणचंद धरमचंद
१९
२०
२१ कुंवरजी आनंदजी
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२२ बाबु साहेब रायकुमार सिंहजी
२३ शेठ लक्ष्मिचंदजी घीया २४ शेट चीमनलाल कुबेरदास २५ महाराज बहादुरसिंहजी २६ राजा विजयसिंहजी
१०
११
१२ भोगीलाल वीरचंददीपचंदजे. पी. २७ बाबु धन्नुलालजी सचेती
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१३ शेठ लखमशी हीरजी मैशरी
१४. मोहनलाल मगनभाई
६
७
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17
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77
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कीका भाई मेमचंद रायचंद
देवकरणभाई मुलजी नगीनभाई
भाई
नेमचंद माणेकचंद कपुरचंद
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कल्याणचंद शोभागचंद
भीमाजी मोतीजी
पनाजी भीमाजी
रवजी सोजपाल
मोतीलाल मुलजी
लालजी भारमल
१५ खेती aियसी
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२८ बहादुरसिंगजी सिंघी
२९
दलसिंहजी जोहरी
"
वीरचंद कृष्णाजी
लालभाई कल्याणभाई
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(२१) ( प्रमुख के तरफ से ) कान्फ्रेन्स बंधारण |
दसवीं कान्फ्रेन्समें जो बंधारणका ठहराव हुआ था वही कायम रक्खा जाय और जो दूसरी कालम " कार्य विस्तार" की है उनमें निम्न लिखित द्वारा बढ़ा दिया जावे ।
जातिके सङ्गके महाजनोंके और पञ्चके तकरारी और विवादग्रस्त प्रश्नोंनें यह कान्फ्रेन्स कोइ भी हाथ नहीं धरेगी ।
स्टेन्डींग कमीटिके मेम्बरोंके सुकृत भंडार फंड अवश्य देना चाहिए.