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________________ ६४ ११ मी जैन श्वेतांबर परिषद्, उनको यह कान्फ्रेन्स धन्यवाद देती है । (२०) जीर्ण मंदिरोद्वार. 44 पूना कान्फ्रेन्स में तीर्थ रक्षक कमेटीके मुकरर करनेके लिये ठहराव कीया था जिसको यह कान्फ्रेन्स स्वीकार करती है और कार्य शिघ्रतासे करनेके लिये आग्रह करती है. " कमेटीका मेम्बरों के नाम. ( वधारनेकी सत्ता साथ ). १ शेट कस्तुरभाई मणीभाई १६ सर नसनजी त्रीकमजी "" १७ शेठ मणीभाई दलपतभाई १८ जीवणचंद धरमचंद १९ २० २१ कुंवरजी आनंदजी ** २२ बाबु साहेब रायकुमार सिंहजी २३ शेठ लक्ष्मिचंदजी घीया २४ शेट चीमनलाल कुबेरदास २५ महाराज बहादुरसिंहजी २६ राजा विजयसिंहजी १० ११ १२ भोगीलाल वीरचंददीपचंदजे. पी. २७ बाबु धन्नुलालजी सचेती " १३ शेठ लखमशी हीरजी मैशरी १४. मोहनलाल मगनभाई ६ ७ ८ 99 19 17 17 " "" 77 77 " " 77 कीका भाई मेमचंद रायचंद देवकरणभाई मुलजी नगीनभाई भाई नेमचंद माणेकचंद कपुरचंद "" कल्याणचंद शोभागचंद भीमाजी मोतीजी पनाजी भीमाजी रवजी सोजपाल मोतीलाल मुलजी लालजी भारमल १५ खेती aियसी "" 77 97 २८ बहादुरसिंगजी सिंघी २९ दलसिंहजी जोहरी " वीरचंद कृष्णाजी लालभाई कल्याणभाई 77 (२१) ( प्रमुख के तरफ से ) कान्फ्रेन्स बंधारण | दसवीं कान्फ्रेन्समें जो बंधारणका ठहराव हुआ था वही कायम रक्खा जाय और जो दूसरी कालम " कार्य विस्तार" की है उनमें निम्न लिखित द्वारा बढ़ा दिया जावे । जातिके सङ्गके महाजनोंके और पञ्चके तकरारी और विवादग्रस्त प्रश्नोंनें यह कान्फ्रेन्स कोइ भी हाथ नहीं धरेगी । स्टेन्डींग कमीटिके मेम्बरोंके सुकृत भंडार फंड अवश्य देना चाहिए.
SR No.536514
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1918 Book 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1918
Total Pages186
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size18 MB
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