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________________ manuman सभापति शेठ खेतशीभाईका व्याख्यान. ६३ बंगालका श्रीमान गवर्नर साहब और दूसरे प्रांतोंका उपरी अधिकारियोंको भेज दी जाय । दरखास्त-रा. रा. हाथीभाई कल्याणजी. अनुमोदक-मी० बी० एन० मैशरी. विः-मी० शामजी लाडण. (१८) हानिकारक रिवाज । . अपनी जातिमें आजकल रिवाजे जैसे कन्या विक्रय बाल विवाह, वृद्ध विवाह, वेश्यानाच, मृत्युके पीछे अधिक शोक करना, मिथ्यापर्वोका मानना, एक स्त्रीकी मौजूदगीमें दूसरी शादी करना, आतशबाजी छोड़ना आदि जो कुरीतियां प्रचलित हैं उन सबको सर्वथा छोड़नेके लिये यह कान्फ्रेन्स उपदेश करती है। जो जो ज्ञाती और कोमोने हानीकारक रीवाजों बंध करनेके लीए ठरावो पसार कीया है और अमलमें रखा है उसकी यह कान्फन्स धन्यवाद देती है तथा उस सम्बन्धीका रिपोर्ट कान्फरन्स आफिस को भेजा जाय ऐसी उनलोगोंसे निवेदन करती है। दरखास्त-बाबु राय कुमार सिंह. भागलपुर । अनुमोदक-बाबु माणेकचन्द शेठ कलकत्ता। (१६) (प्रमुखकी तरफसे) श्रीधार्मिक हिसाब तपासनी खाता । हरएक धार्मिक खातोंका हिसाब साफ और अच्छी अवस्थामें रहनेसे आमदनीकी वृद्धि हो जाती है इस लिये हिसाब तैयार करना और उसकी रिपोर्ट प्रति वर्ष प्रगट करनेको यह कान्फ्रेन्स आवश्यकता समझती है । और कान्फ्रेन्स की तरफसे नियत हुए हिसाब परीक्षकोंको हिसाब बतलानेके लिये कार्यवाहकोंसे खास आग्रह करती है । इस काममें मदद पहुँचानेके लिए हरएक साधर्मी भाइयोंका ध्यान खींचती है । जिस तरह हो यह ठहराव सर्वत्र अमलमें आवे और धर्मादा द्रव्यकी रक्षा और इस उद्देश्यकी सफलता होनेके वास्ते जहां श्री संघके नामसे जो धार्मिक संख्या है उन सर्वोका हिसाब प्रकाश करनेके लिये यह कान्फ्रेन्स वो संघके कार्यवाहकोंसे हिसाब प्रकट करनेका आग्रह करती है । जिस धार्मिक खातोंके कार्य वाहकोंने इस तरह हिसाब बतलाया है और प्रकट किया है
SR No.536514
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1918 Book 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1918
Total Pages186
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size18 MB
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