Book Title: Jain Shwetambar Conference Herald 1918 Book 14
Author(s): Mohanlal Dalichand Desai
Publisher: Jain Shwetambar Conference
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११ मी जैन श्वेतांबर परिषद्.
(११) (प्रमुखके तरफसे) संप (एकता). _ समग्र ज्ञाति, और संघ समुदाय और समस्त जैन कोममेंसे कुसंपको हटाकर सर्वत्र संपका प्रचार होनेकी आवश्यकता यह कान्फरन्स स्वीकार करती है और आपस आपसके कुसंपोको त्याग कर गच्छ कदाग्रह छौड़के ऐक्यता करनेका प्रत्येक ग्राम व शहरोंके संघको आग्रहपूर्वक यह कान्फरन्स भलामन करती है।
अपनी २ ज्ञातिके झगड़ोको और तीर्थोके झगड़ोंको निकाल लवाद मार्फत करानेका यह कान्फरन्स पसन्द करती है। क्योंकि इससे लाखो रुपयोंकी बरबादी बचती है। तृतीय दिवस ता. १-१-१८
प्रस्ताव. (१२) प्रमुखके तरफसे जैन पर्व ). कलकत्तामें जैनियोंकी संख्या अधिक है और व्यापारमेंभी पंक्ति उंची है इस लिये यह कान्फरेन्स बंगाल सरकारसे विनभ्र प्रार्थना करती है कि वह जैनियोंके एक प्रसिद्ध पर्व कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा को आम तहवार (पबलिक हालिडे) नियत कर उस एक दिनको प्रतिवर्ष छुट्टियोंकी तालिकामें सामिल करें क्योंकि उस दिन यहां जैनियोंका एक विशाल धार्मिक महोत्सव याने श्रीजिनेश्वरदेवकी सवारी बड़े आडम्बरसे निकलती है और उसमें आम लोग सम्मिलित होते है । इसकी एक नकल गवर्णमेन्ट बंगालको भेजी जाय। ____ महावीर जयंति ( चैत्र शुक्ल १३ ) और भाद्र शुक्ल चतुर्थी और पञ्चमी जिसको अपने सम्वत्सरी कहते हैं उसको सारे हिंदमें पब्लिक गेझेटेड हालिडे नियत करना चाहिये । इसकी नकले स्थानिक गवर्णमेण्ट और गवर्णमेण्ट आफ इण्डियाको भेजी जाय । . (१३) श्री जैन श्वेताम्बर एज्युकेशन बोर्ड ।
श्री जैन श्वेताम्बर एज्युकेशन बोर्डने शिक्षा प्रचारके लिये आज तक जो कुछ प्रयास किया है उससे यह कान्फ्रेन्स संतोष प्रकाश करती है और उसको निम्न लिखित कार्य करनेकी आवश्यकता बतलाती है।
(क) जिन जिन स्थानोंमें जैनियोके धार्मिक और व्यवहारिक शिक्षा देनेके लिये पाठशाला अथवा विद्यालय वर्तमान है उन सबकी परिदर्शना और जहां कोई