________________
-१०२ ]
वरुण व मण्णेके लेख
( जयसेनके गुरु ) इन दोनोंके गुरु थे। इनने विजयवाटिकामें दो जिनमन्दिर बनवाये थे । उनके लिए अम्मराजने वेलनाण्डु प्रदेशका पेद्दगालिङिपर्स नामक ग्राम दान दिया था | ] [ ए० ई० २४ पृ० २६८ ]
१०१
वरुण ( मैसूर )
१० वी सदी, कन्नड़
आ
१ श्री श्रीमत्पर... यि राजगुरु -
२ मण्डलाचार्य विथमकरर् अत्रिगोत्र परशुराम आचन चामुण्डरनु
६९
३ भठरकरु वारुणद सांथिनाथस्वामिय माडिसिदरु आवर प्रिय दुणदुचल
४ दाचार्य मकलु विजय-क्षण बमण मडिदरु
[ इस लेख मे आचन चामुण्डर भट्टारक द्वारा वरुण ग्राममें शान्तिनाथमूर्ति अर्पण किये जानेका निर्देश है। यह मूर्ति विजयण्ण और बमण्ण-द्वारा बनायी गयी थी । लेखकी लिपि १०वीं सदीकी प्रतीत होती 1 ।] [ ए०रि० मै० १९४० पृ० १७१ ]
१०२
मणे (मैसूर) १०वीं सदी, कन्नड
[ इस लेखमे देवेन्द्र पण्डित भट्टारकी शिष्या मारब्बेक न्तिके समाधिमरणका तथा कलिगब्बे कन्ति द्वारा इस निसिधिकी स्थापनाका उल्लेख है । लिपि १०वीं सदीकी है । ] [ ए०रि० मै० १९१७ पृ० ३९ ]