Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 04
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 508
________________ ४६० एलाचार्य ४४, ५४, २८८ ऐनुरुपेरुम्पल्लि ३६६ ऐवर अंबण ३५३ ऐवरमले ३७ ऐहोले १४५ ओखरिक ५, ६ ओजण ३५५ बोडेयमसेट्टि ३७९ ओड्डिपाणि ४० ओबेयमसेट्टि ३६५ ओरंकल्वायगर १९, २० ओंगेरु ३८१ कक्करगोंड १०५, ११० कच्चिनायकर् २७४ कच्चिनायनार् १६६ कच्चिरायर् २७४ कच्छवेगडे २३०-१ कछवाह ३४३ कडकोल २६१ कडलेहल्लि २१५-६ कडितले २६८ वयसेट्टि १०८ कणितमाणिकसे ट्टि ८३ कण्डन् पोपट्टन् २२ जैनशिलालेख संग्रह १५०, १५२, २७५, ३८४ कण्णम्मन् १८-२० सेट्टि २१४ कण्णूर १३४ कत्तम १८५ कदम्ब १३, १५, २६, ३८, ७१, ८२, ११४, १२३, १२४- ५, १३६, १४८, १५७, १७१-२, २०८-९, २५०-१, ३१३, ३७८ कदलाल बसदि १४३, १४५ कनककीति ३६३ कनकगिरि ३४६ कनकचन्द्र १४८, २५८, २७१ कनकचिनगिरि २७३ कनकनन्दि २२, ७७, ९५, १०२ कनकरायनगुडु ३६१ कनकवीर २२, ५६, १६७ कनकशक्ति ९५ कनकसेन ३९, ९२-३, १७५ कन्नडगे १८२ safeसदि ३०९ कमप १२०-१, १६४ कन्नर ( कन्धर, कन्हर ) देव ४५, १५१, २५६-७, २६३ कण्डन् माघवन् ३९१ कण्डूर, कण्डूर गण ११६, १२०, कन्झिसेट्टि ३७३

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