Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 04
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 541
________________ नामसूची राजमार्तण्ड ६४ राममेट्टि २८५ राजराज ७४, १७८.९, २८०, रामसेनान्वय ४०५.६, ४११, ४२७-८ राजलदेवो २५४ रामी ७-९ राजव्वे १७६, ३७५ रामोज ३७४ राजाधिराज ११० रायगोड ३६० राजि १२०.१ रायगुग २७८, ३७८ राजिमय्य ११९ रायपाल १५९-६०, १६८-७१ राजेन्द्र ७५, ७८ रायबाग ७७, २३५, ३३६ राजेन्द्रशोलचेदिराजन् १२७ रायरसेट्टि ३८० राणिवेण्णूर ३७ रावदेवो १११ रामकोति ३९९, ४१६ रावसेट्टि १६४ रामक २८२, २८४-७ राष्ट्रक्ट १५-६, २८, ३०-२, रामचन्द्र ८१-२, २६३, २६५, ३६-७, ४२, ४४, ५०.१, ३१५, ३८९, ४२५ ५३-५, ६४, १०९, १५९, रामटेक ३९५, ४०४, ४०७, ४२२ १७२, २४३, ३९४ रामण १८६, २८२, २८६ रासलदेवो १८९ रामतीर्थ ३८१ राहक १९१, १९७ रामदेव २६५, ३३९ रुद्रपाल १६. रामनाथ २६५ रूगि २३५ रामनायक ३१० रूपनारायणबसदि १६४-५ रामपुरम् ३८१ रेचस्य ७१,२५० रामप्प ३१३ रेवरस ३८४ रामराज ३१९, ३२२, ३२६ रेचिदेव १०८, ११० रामब २८६

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