Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 04
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
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नामसूची
३२६, ३५४-५, ३८१-२ ४१६-२५, ४२८ ३८४
देवेन्द्रसेन २९४-५ देवणय्य ११२
देशवल्लभजिनालय ४२ देवण्ण २६०, ३१६-७, ३४१, ३४८ देशीय ( देशो, देसि, देसिग ) गण देवत्तर ३७४
४३, ५३,७७, ९३.४, ११४, देवदास ३२८
१२५-६, १२९, १३३-४, देवधर १९२, १९७
१४०, १४८, १५६, १५९, देवनन्दि २७०, ३६१
१६४-५, १६७, १७०, १७३, देवपाल १६१
१७९, १८२, १९७, २०४, देवप्प ३०८
२०७, २२५, २३२, २४६, देवमाम्बे २९४
२४९, २५२-३, २५६, २६०, देवरदासय्य ७०
२६५-८, २७२, २७४, २७८, देवरस १४९
२९५, ३१५-६, ३३५, ३३८देवराज १९०, ३५१
९, ३४२, ३५४-५, ३५९, देवराय ३००, ३०५-६, ३१४, ३६०,३६३,३७६, ३७९-८३
देसल १९१, १९६-७ देवस्पर्श १९१, १९७
दोडणसेट्टि ३१२ देवाद्रि १९२
दोण ११७-८, १२०-१ देवांगना १११
दोणि १२२ देवियब्बे ७०
दोरसमुद्र २५३, २५६, २७०-१ देविसेट्टि १०८,२०५,२०७,३१२, दोहद ५
मिल संघ २१४ देवीरम्मणि ३४९
द्रविल संघ १७९-८०, २३३, २६७ देवूर ३७६
२६९, २९१ देवेन्द्र ६९, २०४, २०७ द्राविडसंघ १२८ देवेन्द्रकीति ३१४, ४०२, ४११, द्राविडान्वय २६४

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