Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 04
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
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१८.
बनशिलालेख संग्रह
बिट्टरस १८७ बिट्टिदेव १५४, २११, २७० बिट्टियण ३६२ विडक्क ७१ विण्डिगनवले ५५ बिदिरूर २६८, ३०९-१० बिदुरे ३२०, ३३६-७, ३३९.४० बिरणंतर ३२६ बिलगोण्ड १२६-७ बिलपाणसेट्टि १६४ बिलिगि ३२०, ३३५ बिलिगिरि रंगनबेट्ट २०९ बिलिचाग्राम २५३ बिल्लमनायक ३८२ बीचगवुड ७४.५ बोचण (बोचिराज) २३८-९,
२४३.६, २४८-९, २५४ बोचिसटि ३८३ बोरण १३९-४० बोरव्य ९४ बीररस १८३, १८५ बुक्कराज २७८-९, २९०, २९५ बुधगुप्त ९ बुलिसेट्टि ३०१
बचम्चे १२९ बूत १२३, १२५ बूतय्य ५३ बूतुग ५८, ६०, १०४, १०९ बूपोज ३६० बुवनहल्लि ७. बंगूर ४२ बेचारकबोमलापुर ७४ बेट्टकेरि ३४० बेट्टिसेट्टि ३८१ बेन १४२-५ बेन्नेवुर ९८ बेरिसेटिट ३८० बेलगामि २१७, २७६, ३७०,
३८९ बेलगांव ४२, २३६, २४३, २४९ बेलगुल २२७, २६७, ३२५ ६ बेलतंगहि ३१४ बलप्प २७९ बेलूर १३०, १४७, १७५, २०७,
३४४, ३४६ बेलगलि ८५ बेलदेव ९१, ९३, १०२ बेल्लट्टि ५६ बेल्लुम्बट्टे ३८२ बेल्वत्ति १५२
बुश्शेट्टि ३२९

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