Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 04
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 537
________________ नामसूची माधियण १७६-७ माचिराज १८३, १९८, २०० माचेल २४ माणिकदेवो ३०५ माणिकसेटि १००-१, २८५-७ माणिकसेन २०९, ३९७-८, ४०२, ४२० माणिक्यतीर्थ १५२ माणिक्यनन्दि १०४, ११० माणिक्यभट्टारक १८२ माण्ड ३०६ माथुर संघ १९५,१९७ मादरम ३७४ मादलदेवी २६६ मादलंगडिकेरि ३४० मादवे २५८, २६३ मादय २६३ माधव २८७ माधवचन्द्र १५४,२३३-४,२४२-३, २६६, २६८, ३७२ माघवनन्दि १५९ माधवमहाधिराज १०, १२, १७, मानलदेवी १६० मानसेन २९९ मावलरसि ३०३, ३०५ माबाम्बा ३५५ मामटा १९२, १९७ मायण २९४.५ मायदेव २६३, ३७० मायसेट्टि २९९ मार २९२ मारगोड १८५.६ मारदेवी २८३ मारब्बेकन्ति ६९ मारमय्य ७० मारय ३८० मारवर्मन् २५५, २६४ मारसिंह ५३, ५४,५९,८९, १०९, मारिसेट्टि १८१.२, २१४ मारुगोटेरर् १९, २० मारूरु ३३६ मारेय २१९-२० मार्तण्डव्य ८२ मालकोण्ड १ मालवे २२५ मालवंगडे २७७ मालियम्बरसि ३५५-६ २० माधवर्मा १०, १४४४.५ माधवसेट्टि १०८ माध्यमिका १

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