Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 04
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
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१८
जैनशिलालेख-संग्रह
भरतिमम्य १७०
भूलोकमल्ल १५३, १५७-८,३९० भरतिसेट्टि २१४
भैररस ३१३ भंवर गोत्र ४०४
भैरवदेव २६५ भागिणब्बे ७९, ८१
भैरवपुर ३१५ भागियब्बे ४०.१, ९५
भैरादेवी ३.. भानुकोति १२९, २५०, २७२, भोगदेव २०८ ३७९
भोगराज २७८ भानुचन्द्र ३९८
भोगवदि १९९-२०० भानुमुनीश्वर ३२१, ३२६
भोगवे ११४ भालेपालबन्दप्प ३३०.१
भोगादित्य ९८ भावचन्द्र १९७
भोज ८६, १३६-७ भावनगन्धवारण ८५
भोसले ३९४ भावसेन ३८०
भोसे ३७० भासगवुण्ड ३६२
मगर कारगरस १५७ भास्करनन्दि ११३ भिल्लम १३७,२१३
मणलकुल ११२ भीम ६७
मलिमनेओडेयोन् २६ भोमदेव ९७.८, २२१-२
मणलेर १७२ भोसो ३९५, ४११
मणिचन्द्र ४२ भुजबलमल्ल १८६
मण्टूर २२९ भुरा गोत्र ४००
मण्डलकर १९२, १९७ भुवनको ति ३९७-८, ४२८ मण्डालगेरे ८५ भुवनकमल १०२-३, ११०,११२. मण्डलोई ३३८ ३, ३८९
मण्णे ६९ मुबलोकनाथनल्लूर २६१ मतिबीर ३४० भूतबलि १७५, २१४, २१६ मतिसेन ९९

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