Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 04
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
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१७८
जैनशिकाल-संग्रह
नागसिरियव्वे २५१
नाहर ३८५ नागसेट्टि २८९-९०
नाहटा ३८५ नागसेन ७२, ८४-५
निगमान्वय २७६ नागद १९४
निगुम्बवंश १३९ नागिसेट्टि १७१, २८६
निजिकब्बे २३०.१ नागुलपोलमम्बे ३७
निटूर २२५, ३६८ नागुलबसदि ३७
निडुगल (निडुगल्लु) २६०, ३८२ नागेयिसेट्टि २६३
नित्वकल्याणदेव १६० नागोज ३६०
नित्यवर्ष ४४-५, ५५ नागौर ४२२-३
नित्वगोहाली ७.९ नाडलाई १५९, १६७, १६९, १७० निधियण्ण ३९ नाडलि १००.१
निम्बदेव १६३, १६५-६, २३९ नाडोल ३८६
निरुपम ३० नाथशर्मा ७-९
निर्घडेवृक्षसंघ ३४९ नायसेन ६७-८
निलिम्पपुर २९८ नादौवे ३५७
नोडूर ३९१ नानिग १९६
नोरलगि १७१ नामिसेट्टि २७३
नीलगिरि ३४६-७ नायिम १३५, १३९-४०
नीलत्तनहल्लि ३१८ नाराणक १९१, १९६
नोलिकब्बे १७२ नारायण ३६, ४०
नूतिसेट्टि १०८ नारियप्पाड ४१
नूलवन्दिसेट्टि ३५७ नालिसेट्टि १०८
नूलकागिसेट्टि ३५७ नालपुर ३३४
नेगलर २५७ नाल्कुवागिल ३२८
नेवटिमतायि १२९ नाविकल्वे ११४
नेमण ८१.२, २८६-७, ३६२

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