Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 04
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 509
________________ पतिपाडु ३५४ कमलदेव १२८, २९१ कमलभद्र ७०, २९४-५ कमलश्री १९३, १९७ कमलसेन २५०, २५४ कमलापुरम् ७३, ३९१ कम्बदहल्लि १५६, १६९ कम्भराज २८-३० कम्मनहल्लि ३५९ कम्मरचोड ३८० कयिलायप्पुलवर् ३३९ करगुदरि १७२ करडकल १७९ नामसूची करन्दै ९९, १४०, १७८, २८९, ३१३, ३३६, ३३९, ३४७ कर सिदेव २५६ aftकालोलजिन मंदिर ३५४ करिमानी २६ करिविडि ७६, ८५ कर्कराज ३१, ३४-६ कर्णादेवी १६६ कर्म ३ कलकत्ता ४०, २३४, ३४० कल रि २५४, २५६, २६३, ३७९ कलचुम्बुरु ६८ कलचुरि १५९, १७८ कलचुर्य १७९, १८२, १८६-७, १९८, २०१ कलशनगर २२५ कलसापुर २०१ कलिगन्जे ६९ afoगावुण्ड २२६ कलिदेव ८१, १०९-१०, १२०-१, १४९, १८६ कलिमानम् ७८ कलियत्तिगंड ६४ कलियम्म २५, ३८९-९० कलिविष्णुवर्धन ६४ कलसेट्टि १०८, १७२ कलिंग २ कल्कलेश्वर ८६ कल्नेलेदेव ४३-४, ५४ कल्याण ८५, ८६, २१४ कल्याणकीर्ति ७४, ३८२ कल्याणवसंत २४ कल्लप ३५५ कलम्बे ५४ ४६१ कल्लरस ३०४-५ कल्लहल्लि ३६० कल्लारुपल्लि २७ कल्बका ११७ कबडेगोल्क १६३-५

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