Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 04
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 514
________________ जैनशिलालेख-संग्रह कोंगरयर् ६३ गण्डरादित्य ६२, १३७-९, १६२, कोंगल देश ५३ १६४-६, १८५.६, २३९ कोंगु १५५, २०३, २६७, २८० गण्ड विमुक्त १०५, ११०-१२,१४९ कोठूरु २४ १७०, २५८, २७१ कोहरगच्छ ७३ गण्डिसेट्टि १०८ क्षेमपुर ३०३, ३१५ गयाकर्ण १५९ क्षेमकीर्ति २२१, २२३ गरग ३७७ क्षोणीपति १११ गंग १२, २०, २६, ४०, ४४, खटवड गोत्र ४०२ ५३.४, ५८-६०, ८९, ९४, खण्डगिरि २-५, ५६-७ १०२, १०४, १२९, १५१-२ खण्डिल्लवाल १६१, ३००, ३१५ गंगपय्य १४६-७, १६७ खण्डेलवाल ३१७, ३९६, ४०८, गंगपेमोडि १०४,१०७,१०९,१३५ ४२१,४२५ गंगरबमिसे ट्रि १४८ खप्परस्य १६४ गंगरसावन्त २५९ खर २ गंगराज १५६ खंडारिया गोत्र ४०५, ४०८,४१० गंगराडा ३९५, ३९७ खंभात ३८७ गंगरुल सुन्दरपेरुम्बल्लि १२२ खारवेल २ गंगवुर २३२ खाग गोत्र ४०३ गंगादास ३४१ खोट्टिग ५४ गंगायि २८५ साजा अजोजबेग ३२८ गंगेवे २२७ गजपंथ ४२६ गंजेनाड १८-२० गजा ४०१ गावरवाड १०२, १०४, १०७, गणपण ३२३, ३२५, ३३७ गणपवरम् १६६ गिरधरदास ३४१ गणिगेमहावति २४ गिरनार २२२, ३२६

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