Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 04
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
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जैनशिलालेख संग्रह
गोपनन्दि २०४, २०७ गोपरस २६६ गोपाचल ४१२ गोपेन्द्र १८९ गोप्पण्ण २७९ गोविन्दम्म ४० गोरविसेट्टि १०८, १६४ गोरूर २२६, २२९ गोर्म १५१.२ गोललतक २६१ गोलसिंधारा ३९५, ४०४ गोलिहल्लि १५३ गोल्लाचार्य २३४ गोल्लापूर्व १५९, ३९६, ४०३,
४२७, गोल्हणदेव १५९ गोव १८० गोवर्धन २२७, २५० गोवलदेव ११४ गोवा २८७ गोवालगोत्र ४०३,४०६,४०९-१० गोषाटपुंजक ७-९ गोहिलगोत्र ४०३, ४१५, ४२५ गोंकय्य २७ गोकल १३६ गोडसंघ ५३
महकुल ५७ ग्राम २२४ घटेयंककार ७६ घण्टोडेय ३२० धनविनीत १८ धनशोकवली ३५४-५ चविग १८९ चन्वुल १९१, १९६ चटवेगन्ति २९२ घट्टजिनालय ११४ चट्रय्यदेव ८२ चटरसि ८८.९ चण्डब्वे १०७ चण्डिगोडि २६१ चण्डियण ३९ पण्डिमेट्टि १०८ चतुर्थज्ञाति १७२ चतुर्थमुनीश्वर ३२६ चतुर्मुख देव २०४, २०७ चतुर्मुखवसति ४१ धनुदवोलु ३८१ . चन्तलदेती १३३-४ चन्दन १८९ चन्दलदेवी २३७, २४४, ३१९-२० चन्दव्वे ३८. चन्दियम्बे ४५

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