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बेलगांवका लेख
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[इस लेखका सारांश जै० शि० सं० भा० ३ में क्रमांक ४५३ में आ गया है । किन्तु उस समय मूल लेख प्राप्त नहीं हुआ था। पाठकोंकी सुविधाके लिए सारांशको मुख्य बातें यहां दोहरायी जाती हैं। इस लेखमें रट्ट वंशके राजा कार्तवीर्य ( चतुर्थ) तथा उनके बन्धु मल्लिकार्जुनका एवं उनके मन्त्री बीचणका उनके पूर्वजोंसहित परिचय दिया है। बीचणने बेलगांवमें रजिनालय स्थापित किया था। इस मन्दिरके प्रधान भट्टारक शुभचन्द्रको शक ११२७, रक्ताक्षी संवत्सरमें द्वितीय पौष शुक्ल २ को बेलगांवकी कुछ जमीन तथा कुछ करोंका उत्पन्न दान दिया गया था। इस शिलालेखके पाठको रचना माधवचन्द्र विद्यके शिष्य बालचन्द्र कविकन्दर्पने की थी।
[ए० इं० १३ पृ० १५ ]
३१६ बेलगांव ( क्रमांक २ ) ( ब्रिटिश म्यूजियम )
शक ११२७ = सन् १२०१, कन्नड १ श्रीमत्परमगंभीरस्यादादामोघलांछनं । जीयात् त्रैलोक्यनाथस्य
शासनं जिनशासनं ॥ नमो वीतरागाय शान्तये ॥ २ श्राजिनसमयनवांबुधि राजिसुतिर्कमथनूर्जितामृतरत्नश्रीजननगृहं __ सत्वदयाजीवनमपरिमितगभीरम३ पारं ॥ जंबुद्वीपद भरतदोलंबुजभवसारसृष्टि कूडिमहीचक्रं बगे
गोलिपुदु सकलजनांबकवनसुकृ४ तफलविलासनिवासं ॥ श्रीराष्ट्रकूटवंशसरोरुहवनराजहंसनाद
नावं विस्तारियशोनिधि सेनमहीरमणं ५ संभृतामलोमयपक्षं । सिरियं निजानुजेयनादरदिं शशियित्त
राजनादं नणपं धरियिसि मिकता सेनराजनो