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-४८५] कारकस भादिके लेख
३२९ स्थापना जगतापिगुत्ति निवासी बायिसेट्टिके पुत्र बुश्शेट्टिने शक १५००, बहुधान्य संवत्सर में की ऐसा इसमें उल्लेख है । स्तम्भके दूसरी ओर संस्कृत भाषा और कन्नड लिपिमें इसी वर्णनका लेख है। इसमें बुश्शेट्टिको महानागकुलका कहा गया है।
[रि० सा० ए १९३७-३८ क्र. ५१७-१८ पृ० ५७-५८ ]
कारकल ( द. कनडा, मैसूर )
शक १(५). सन् १५८०, कन्नड [ इस लेखकी तिषि कार्तिक शु० १, शक १(५)०१ है। प्रारम्भ श्रीमत्परमगम्भीर""आदि श्लोकसे है । अन्य विवरण लुप्त हुआ है।]
[रि० इ० ए० १९५३.५४ क्र० ३३७ पृ० ५२ ]
सेतु ( शिमोगा, मैसूर )
शक १५०५-सन् १५७३, कन्नड १ स्वस्ति श्रीजयाभ्युदय शालिवाहनशक वरुष १५०५ चित्रमानु
संवत्सरद भाद्रपद सुद्ध १० शुक्रवारदंदु करूरु नाड चैपल्लिय तिम्म गौडरु यिवल्लिय नायक्क गौडरु जहिगौडर मग सेट्टिगौडरु मा समस्त श्रावकर सह मुंतागि सेनुविन बसदि श्री
भादितीथेश्वररिंगे माहिस्त लोहद २ प्रभावलिगे आ समस्त जनंगलिगे मंगल महा श्री श्री श्री
विरपयनु माडिदुदु [ यह लेख आदिनाथमूर्तिके पादपीठपर है। इस मूर्तिको स्थापना भाद्रपद शु० १० शक १५०५ के दिन हुई थी। स्थापक चैपल्लि ग्रामके तिम्मगौड तथा यिवल्लि ग्रामके सेट्टिगोड थे।]
[ए. रि० मै० १९४४ पृ० १६७ ]