Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 04
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 462
________________ जैनशिक्षा-संग्रह १७३ (सके) १६१७ फा० ५ अ० ज० ० । ( विवरण क्र० ४७३ ) १७४ शके १६९७ मन्मयनाम संवत्सरे अजितकीर्ति उपदेशात् परवार हिरामन फाळ० शु० द्वितीया २ । ( विवरण क्र० ४८० ) सके १६३७ मनाजी सेठ भ० अ० । ( विवरण क्र० ४२३ ) शके १६९७ मि० [फा० २ 'नथु । ( विवरण क्र० ३१५ ) संमत १८३२ मन्मथनामसंवत्सरे मू० ब० स० कु० भ० पद्मकोतिं भ० विद्याभूषण भ० हेमकीर्ति तत्पट्टे अजितकोति फालगुण मासे शुद २ पंचपरमेष्टी । ( विवरण क्र० २२७ ) शक १६६७ नाम संवत्सर म० अजितकीर्ति उपदेशात् फा० सु० २ | ( विवरण क्र० २०६ ) १७९ शके १६९८ मु० ( विवरण क्र० ३२४ ) १८० श्रमूकसंघी सके १७०५ । ( विचरण क्र ४४० ) १८१ 218 १७५ १७६ १७७ १७८ १८२ सक १७०७ चैत्र वद १३ श्रा मूलसंघे सरस्वतीगच्छ बलात्कारगण । ( विवरण क्र० ७३ ) संमत १८४५ सके १७१० श्रीमत्काष्टासंघे लाडवागड नंदिष्टगच्छे म० सुरेंद्रकीर्तितरपट्टे म० सकलकीर्ति तत्पट्टे म० लक्ष्मी सेनजी "श्रीबघेलवालज्ञाति जुगिया गोत्रे "काष्टासंघ गाड़ी " 1 ( विवरण क्र० १३३ ) १८३ सके १७१० शै कीलनामसवत्सरे मिती श्रावण सुद १२ श्रीमूलसंघ चिमनाजी सरावगे तय पुत्र मुरारजी । विवरण क्र० १२८ ) १८४ ला० १७१० काष्टासंबी वर्षासा जोगी । ( विवरण क्र० १७३ ) १८५ संमत १८४६ कार्तिक सुदी ४ काष्टासंचे नंदितटगच्छे.... श्रीलक्ष्मीसेनजी प्रतिष्ठित । ( विवरण क्र० १३२ ) १८६ संमत १८५२ भट्टारक... उपदेशात् रामळालेन प्रतिष्ठितं । ( विवरण क्र० ४६८ )

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