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बोलिगि प्रादिके लेख
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४६० रलत्रयबसदि बोलिगि, ( उत्तर कनडा, मैसूर )
१६वीं सदी (सन् १५८७ ) [ इस लेखमें मूलसंघ-देसिगण-पुस्तकगच्छके श्रवणबेलगुल मठके चारुकीर्ति पण्डितका उल्लेख किया है। इन्हें रायराजगुरु, मण्डलाचार्य, बल्लालरायजीवरक्षापालक आदि उपाधियाँ प्राप्त हों। इनको परम्परामे श्रुतकीर्ति पण्डित हुए। इनको शिष्यपरम्परा इस प्रकार थो-श्रुतकीर्ति-विजयकोतिश्रुतकोति (द्वितीय)- विजयकोति (द्वितीय,) अकलंक - विजयकोति ( तृतीय )- अकलक ( द्वितीय ) - भट्टाकलंक । भट्टाकलंकदेवका समय शक १५१० = सन् १५८७ दिया है। संगीतपुरका लोकप्रयुक्त नाम हाडुवल्लि है। यहाँके राजा इन्द्रभूपालको विजयकीर्ति (प्रथम ) को कृपासे सिंहासन प्राप्त हुआ ऐसा कहा गया है। विजयकीर्ति (द्वितीय) को प्रेरणासे पश्चिम समुद्र तटपर भट्टकल नगरको स्थापना हुई थी।
[ए० इं० २८ पृ० २९२]
४६१ जि० दक्षिण कनडा ( स्थान नाम अज्ञात )
शक १५१३ -सन् १५६१, कन्नड [ यह ताम्रपत्र शक १५१३ खर संवत्सरमे किन्निग भूपालने दिया था। इसमे एक जैन मन्दिरके लिए कुछ भूमिदानका उल्लेख है।]
( इ० म० दक्षिण कनडा २)