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जैनशिलालेख-संग्रह
[५४०5. णि सान्तलरसि पुट्टिदलागल । अरसप्पोडेयर तनूजे वरगुणि
बोम्मकनाकेयात्मजे सान्तकरसि१ यु परमन पदमं स्मरियिसि सुरलोकवेदि सुखदिन्दिदल
अहंन्तन पादाम्बुजमं १२ स्मरयिसुतं नम्बि(?) पदम नालगेयोलु उच्चरिसुत्त सान्तकरसि
शरीरमं पत्तेण्टुदिन१३ दोलु सन्दलु वरवत्सर तारणदोलु सुरुचिर-फाल्गुणद शुद्ध
पाडिवतिथियोलु हरिदश्व१४ दिनदि सान्तकरसियु स्वर्गस्थलादल भाकेनिमित्तं माडिसिद
निषिधिय कल्लिगे मंगल महाश्री[ यह निषिधि-लेख रानी सान्तलदेवीके समाधिमरणका स्मारक है । इसकी तिथि फाल्गुन २० १, रविवार, तारण संवत्सर ऐसी थी। यह देवी बोम्मणसेट्टिकी कन्या तथा हेवणरसकी पत्नी थी। हैवणरसका पिता मंगराज था जो कामराज और मालियब्बरसिका पुत्र था। मालियब्बरसिके पिता गेरसोप्पेके राजा होन्न थे । उसका एक और पुत्र हरिहर नृपाल था। सान्तलदेवीकी माता बोम्मक्का अरसोप्पोडेयकी कन्या थी।]
[ए० रि० मै० १९२८ पृ० ९९ ]
सालर ( मैसूर )
कार
१ श्रीमत्परमगंभीरस्याद्वादा२ मोघलांछन ।... ३ ""शासनं जिनशा... ४ सनं श्री चन्द्रनाथदेव