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जैनशिलालेख संग्रह
[ ३२८३२८ हूविनसिगलि (धारवाड, मैसूर )
शक ११ (६) ७ = सन् १२४५, कमड [ यह लेख यादव राजा सिंघणदेवके समय चैत्र शु० ५ रविवार, विरोधकृत् संवत्सर, शक ११(६)७ के दिन लिखा गया है। इसमे एक श्राविका-द्वारा सिग्गलि ग्राममे चैत्यालय बनवानेका उल्लेख है। इस ब्रसदिके शान्तिनाथदेवके लिए महाप्रधान सर्वाधिकारि प्रभाकरदेवने तथा पुलिगेरेके मन्नेय एवं आठ हिटुओंने कुछ भूमि दान दी थी।]
[रि० इ० ए० १९४५-४६ क्र. २९६ ]
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कलकेरि ( बिजापुर, मैसूर )
शक ११६७ = सन् :२४५, कन्नड [ इस लेखमे यादव राजा सिघणदेवके समय भाद्रपद शु० ४ रविवार शक ११६७ क्रोधि संवत्सरके दिन महाप्रधान मल्ल, वाच तथा पायिसेट्टिद्वारा निर्मित अनन्ततीर्थकर मन्दिरके लिए कलुकेरके महाजनों द्वारा भूमि आदि दान देनेका उल्लेख है । यह मन्दिर कमलसेन मुनिके उपदेशसे बनवाया गया था।]
[रि० सा० ए० १९३६-३७ क्र० ई ५३ पृ० १८६ ]
३३० लक्ष्मेश्वर ( मैसूर )
शक ११६६ = सन् १२४७, कन्नड [ यह लेख यादव राजा सिंहणके ममय ज्येष्ठ अमावास्या, शक ११६९, प्लवंग संवत्सरके दिन लिखा गया है। इसमें महाप्रधान बीचिराजकी कन्या राजलदेवी-द्वारा पुरिकरनगरके श्रीविजयजिनालयके लिए कुछ भूमि तथा द्रव्य दान दिये जानेका उल्लेख है। इनके गुरु पद्मसेन मुनि थे।]
[रि० सा० ए० १९३५-३६ क्र० ई० ९ पृ० १६१]