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कारकल भादिके लेख
मन्दिरके कालहस्ति और शिवरामने यह समझौता किया था। तिथि ज्येष्ठ शु० १ सोमवार, शक १४(६१), विलबि संवत्सर ऐसी दी है। (शकवर्षको संख्या अन्तिम अंक लुप्त हैं जो संवत्सरनामानुसार दिये गये हैं)।
[रि० सा० ए० १९३५-३६ क्र. ई १८ पृ० १६२ ]
कारकल ( द० कनडा, मैसूर)
शक १४६५= सन् १५४३, कन्नड [ यह लेख ( ताम्रपत्र ) चैत्र शु० ४ शक १४६५ शोभकृत् संवत्सरका है। इसमे चन्दलदेवीके पुत्र पाण्डयप्परस तथा तिरुमलरस चोटर इनमे अनाक्रमण सन्धिका उल्लेख किया है। इसके साक्षोके रूपमें जैन आचार्य ललितकोति भट्टारका उल्लेख हुआ है। ]
[रि० सा० ए० १९२१-२२ पृ० ९क० ए ५ ]
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कुरुगोड्ड (बेल्लारी, मैसूर ) शक १४६७ = सन् १५४५, काड
एक मग्न मन्दिरके दक्षिणी दीवालपर [विजयनगरके राजा वीरप्रताप सदाशिव महारायके समय शक १४६७, विश्वावसु संवत्सरमें यह लेख लिखा गया। रामराज्य-द्वारा जिनमन्दिरके लिए कुछ भूमिदान देनेका इसमें निदंश है।]
(इ० म० बेल्लारी ११३ )