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१४ मेले येति होम्नाबरद नास्कुवरे होम्नन् तम्म अम्म संगलदेवियरिगे पुण्यार्थ परिहारमागे बिहुदु हैवण्णरसरू त३५ म्म मनःपूर्वकवागि कोहु सर्वमान्यवागि मूलस्थलागि तावु भालु यिदु बडेय मज्जन वृत्तिगे गढि मूढलु होळे तेंकलु होले गडि पडवल
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३७ ... समस्तवृत्तियन् श्राहारदानक्कवागि याचन्द्रा कंत्रागि ३८ धारापूर्वकं माडि कोहरु मस्तु आहारदानक्के या चिस्यालयद
गृह
[ इस लेख में पद्मण्णरस-द्वारा पार्श्वतीर्थकर मन्दिरके लिए ४ होन्नु कीमत की भूमि दान दिये जानेका निर्देश है। पद्मण्णरसकी माता तंगलदेवी तथा पिता हैवण्णरस थे। उसकी बड़ी बहिन जक्कलदेवी थी । तंगलदेवीका बन्धु कल्लरस था जो इरुबुन्दूरके शासक तम्मरसका भानजा था । यह कुन्तलनाडुके राजा अज्जका जामाता था । अज्जका समकालीन राजा संग था जो अम्बराजाका पुत्र था। अम्बका पिता संग था जो अम्बीराय और माणिकदेवका पुत्र था तथा राजा केशवका वंशज था । केशवकी पत्नी माबलरसि मंग राजाकी कन्या थी । मंगकी पत्नी जक्कब्बरसि हैवण और होन्नबरसिकी कन्या थी । इस दानकी तिथि माघ शु० ५ बुधवार, शक १३४३, शार्वरी संवत्सर ऐसी दी है । ]
[ ए०रि० मं० १९२८ पृ० ९३ ]
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उडिपि (द० कनडा, मैसूर )
शक १३४६ = सन् १४२४, संस्कृत- कन्नड
[ यह लेख ( ताम्रपत्र ) विजयनगरके देवरायमहाराजके राज्यकालमें पुष्य शु० ६, बुधवार, शक १३४६ क्रोधि संवत्सर के दिनका है। इसमें
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