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-२१०] बैल होंगल प्रादिके लेख को कई दान दिये थे। इस स्थानके कुछ आचार्योके नाम भी लेखमें दिये है। तिथि आषाढ़ शु० प्रतिपदा, सोमवार, उत्तरायणसंक्रान्ति, शोभकृत् संवत्सर ऐसी दी है। उस समयके चालुक्यसम्राट् त्रिभुवनमल्लदेवके राज्यका उल्लेख किया है।]
[रि० इ० ए० १९४६-४७ क्र० २१६ ]
२०६ बैल होंगल ( बेलगाँव, मैसूर )
११वी - १२वीं सदी, कन्नड [ यह लेख चालुक्य राजा त्रिभुवनमल्लदेवके समयका है । शक वर्षके अंक अस्पष्ट हुए है। इसमे रदृवंशीय महासामन्त अंक, शान्तियक्क तथा कूण्डि प्रदेशका उल्लेख है। अनन्तर यापनीयसंघ- मैलाप अन्वय-कारेयगणके मुल्लभट्टारक तथा जिनदेवसूरिका उल्लेख है। यह सम्भवतः किसी जिनमन्दिरको दिये गये दानका उल्लेख है।]
[रि० इ० ए० १९५१-५२ क्र० ३३ पृ० १२]
२१० गोलिहल्लि ( जि. बेलगाँव ) सिद्धेश्वरमन्दिरके समीप शिलापर
१२वीं सदी, कन्नड [ मैललदेवी तथा जयकेशिन्के पुत्र वीर पेर्माडि तथा विजयादित्यके शासनका इस लेखमें निर्देश है । अंगडिय मल्लिसेट्टि-द्वारा किरुसंपगाडिमे बनवाये गये जैन मन्दिरके लिए भूमिदान देनेका इसमें उल्लेख है । मूलसंघ, बलात्कारगणके नेमिचन्द्र भट्टारकके शिष्य वासुपूज्य भट्टारकको यह दान दिया गया । वासुपूज्यकी गुरुपरम्परा कुछ विस्तारसे दी है। लेखके समय फाल्गुन शु० १५, गुरुवार, मन्मथ संवत्सर था तथा चालुक्य भूलोकमल्ल सम्राट् थे।]
[रि० इ० ए० १९५०-५१ क्र० १५ ]