Book Title: Jain Hiteshi 1917 Ank 01 02
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 33
________________ अङ्क१] हिन्दी-जैनसाहित्यका इतिहास । आपके लिखे हुए हैं। हिन्दीकी सर्वोपयोगी पुस्तकें मिली हुई हैं। आप बड़े स्वार्थत्यागी हैं। मोरेनाका भी आपने कई लिखी हैं । आपकी ‘ब्याही बहू' जैनसिद्धान्तविद्यालय-जिसमें कोई हजार रुपया नामकी छोटीसी पुस्तक अभी हाल ही प्रकाशित मासिक खर्च होता है-आपहीके परिश्रम और हुई है । 'मनमोहिनी' नामका स्वतंत्र उपन्यास स्वार्थत्यागसे चल रहा है । आपके द्वारा मी आपका लिखा हुआ है । आपकी 'ज्ञानसूर्यो- जैनसमाजमें न्याय और कर्मसिद्धान्तके जाननेवाले दय' नामकी पुस्तक बहुत अच्छी है जो पहले बीसों विद्वान् तैयार हुए हैं और हो रहे हैं। उर्दूमें लिखी गई थी। इस समय आप वकालतका बम्बईका 'जैनमित्र' जो अब साप्ताहिक होगया. काम छोड़कर जैन-समाजकी सेवा किया करते है, सबसे पहले आपहीने निकाला था। इसका हैं। आपकी अवस्था ५० वर्षके लगभग होगी। सम्पादन आप ६-७ वर्षतक करते रहे हैं। आप खासी हिन्दी लिखते हैं। सुशीला उपन्यास, पं० पन्नालालजी वाकलीवाल । आप जैनसिद्धान्तदर्पण, और जैनासद्धान्त-प्रवेशिका ये सुजानगढ़ जिला बीकानेरके रहनेवाले खण्डेलवाल तीन हिन्दीके ग्रन्थ आपके रचे हए हैं। पिछली जैन हैं । जैनसमाजमें ग्रन्थोंके छपाने और प्रचार पस्तकका जैनसमाजमें खब प्रचार है । इस समय करनेवालोंमें आप अग्रणी हैं । आप भी कोई आपकी अवस्था ४८ वर्षके लगभग होगी। बीस वर्षसे केवल यही काम कर रहे हैं । बम्बईके मोरेनामें आपकी आढ़तकी दूकान है। जैनग्रन्थरत्नाकर कार्यालयकी जड़ जमानेवाले आप ही हैं । काशीकी स्याद्वादपाठशालाकी बाबू जुगलकिशोरजी । आप देवबन्द स्थापना करनेमें भी आपका हाथ था ।आप बड़े जिला सहारनपुरमें रहते हैं । अग्रवाल जैन हैं। स्वार्थत्यागी हैं । जैनहितैषी पत्रके जन्मदाता भी मुख्तारीका काम छोड़कर अब केवल साहित्यआप ही हैं । इसे शुरूमें आपने कई बार निकाला सेवा करते हैं । अभी आपकी उम्र ४० वर्षसे और कई वर्षतक चलाया था। धर्मपरीक्षाका कम है । जैन-साहित्यके बड़े नामी समालोचक अनुवाद, रत्नकरंड, द्रव्यसंग्रह, और तत्त्वार्थ- हैं। अभी अभी आपने चार पाँच जैन ग्रन्थोंकी सूत्रकी छात्रोपयोगी टीकायें, जैनबालबोधक, विस्तृत समालोचनायें लिखकर जैनसमाजमें एक स्त्रीशिक्षा आदि जैनधर्मकी पुस्तकोंके सिवाय हलचल मचा दी है। बड़े ही परिश्रमशील हिन्दीकी सर्वोपयोगी पुस्तकें भी आपने कई लिखी लेखक हैं । जैनधर्मसम्बन्धी इतिहास पर भी हैं। आजकल आप कलकत्तेसे 'सनातन जैनग्रन्थ- आप बहुत कुछ लिखा करते हैं । आगे आपसे माला' नामक संस्कृत ग्रन्थोंकी सीरीज निकाल जैनसाहित्यकाबहुत उपकार होनेकी संभावना रहे हैं । इस समय आपकी उम्र लगभग ४८ है। आप कई वर्षतक साप्ताहिक जैनगजटका वर्षकी होगी। सम्पादन कर चुके हैं । आर्यमतलीला, पूजाधिपं. गोपालदासजी बरैया । आप आगरेके र कारमीमांसा, विवाहका उद्देश्य आदि कई अच्छी रहनेवाले हैं और बरैया आपकी जाति है । अच्छी पुस्तकं आपकी लिखी हुई हैं। आजकल मोरेना (ग्वालियर ) में रहते हैं। पं० अर्जुनलालजी सेठी। आप जयपुरके दिगम्बरसम्प्रदायके धुरंधर विद्वानोंमें आपकी रहनेवाले खण्डेलवाल जैन हैं । बी. ए. हैं। गणना है । न्यायवाचस्पति, वादिगजकेसरी, किसी राजनीतिक अपराधके सन्देहमें आप कोई स्याद्वादवारिधि आदि कई पदवियाँ आपको तीन वर्षसे कैद हैं । आप हिन्दीके परम प्रेमी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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