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जैनहितैषी
[भाग १३
स्त्री
भारत
बंगाल पंजाब
१४॥
नरनारी कालके विकराल गालमें पड़कर इस पुरुषोमेंसे भिन्न भिन्न आयु पर दोनों देशोंमें कितने यात्रासे चिरकालके लिए वञ्चित हो जाते हैं। नरनारी जीवित हैं तो निम्न चित्र सत्य दशाका यदि भिन्न देशोंके १०० बालक इस यात्राको प्रकाशक होगा- .. एक साथ आरम्भ करें तो हम देखना चाहते हैं स्वीडन और भारतका कि उनमेंसे कौन बाजी ले जाता है कि उनमें
मुकावला । से ५० बालक किस आयु तक पहुँचकर काल- ४५ वर्ष ५५ ६५ ७५ ८५ की नदीमें गिरेंगे और शेष कितने वीर काम- स्वीडन ६४५ ५७० ४५६ २७३ ६७ याबीसे आगे बढ़े चले जावेंगे।
भारत २५२ १६३ ८६ २६ २ १०० बालक ५० किस आयुमें
अर्थात् ४५ वें वर्षमें एक हजार पुरुषोंमेसे
स्वीडनमें ६४५ और भारतमें केवल २५२ रहते रह जाते हैं ? हैं।१०० मेंसे हैं बालक जीवन-यात्राके संकटोंसे
मरचुके होते हैं और शेष रहते हैं उनकी भी १२ शीघ्र मृत्यु होती है।
हमारी भक्ति। सं० प्रा० बम्बई.
११३ [ले०-पण्डित सुखराम चौबे (गुणाकर )।] मद्रास
_उनमें भक्ति महान, हमारी । २९ ३१
सहज प्रसन्न वदन है जिनका, अर्थात् उत्तरीय भारतवर्ष में सिन्धुसे बङ्ग देश
तन है तेजनिधान ॥ हमारी०॥१॥ और हिमालयसे विन्ध्याचल तक जो विशेष
पुष्ट बलिष्ट साहसी हैं जो, तारै पर आर्योंकी भूमि समझी जाती है उसमें
कर्म-वीर व्रतवान । ९ वर्षों में ही ५० बालक यमराजकी भेंट हो सभ्य वेष वर भाव जिन्होंका, जाते हैं और जिन देशोंमें आर्योंका कम वास है भाषण सुधा-समान ॥२॥ जैसे बम्बई, मद्रास और वर्मा, वहाँ १०, १४॥ सरल उदार सदय संतोषी, और २९ वर्षों में पुरुष आधे होजाते हैं। क्या इस क्षमाशील सज्ञान । आर्यावर्त्तका यही आर्यत्व है ? क्या यही श्रेष्ठता,
कहे हुएको पलट न जाने, सदाचार, पवित्रता, धर्मानुराग, शारीरिक बल
जौं लों तनमें प्रान ॥३॥ और ब्रह्मचर्य है कि सब जातियोंके मुकाबलेमें
मिलें सबोंसे उरसे उर ला, भारतीय आर्य अधम हो गये है ?
तजें घृणित अभिमान।
रहे लक्ष्य परहित पर जिनका, शारीरिक निर्बलता ।
जिन्हें स्व-हित इच्छा न ॥४॥ हमारे शरीरोंकी शोकजनक निर्बलताका एक
भाषा भूमि भूप भगवतके, अन्य हृदयविदारक उदाहरण भी लीजिए । जहाँ सच्चे भक्त जहाँन । भारतमें सुन्दर बालकोंकी कमी है वहाँ वृद्ध नरनारी कहे 'गुणाकर ' जिन्हे हृदयसे ‘भी यहाँ बहुत ही कम दिखाई देते हैं । यदि हम दें सज्जन सम्मान ॥५॥ स्वीडन और भारतका मुकाबला करें और देखें कि
वर्मा
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