Book Title: Jain Hiteshi 1917 Ank 01 02
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 108
________________ (१०) संस्कृतके ग्रंथ । अमरकोष-मूल गुटका । मूल्य चार आने। जैनेन्द्रप्रक्रिया--प्राचीन जैनाचार्यकृत व्याकअमरकोष-मूल श्लोक और शब्दानुक्रमणिका रण । मूल्य १॥) सहित मूल्य ।) नीतिवाक्यामृत-सोमदेव सूरि कृत नीतिका अष्टसहस्री--विद्यानंद स्वामी रचित न्यायका अपूर्व ग्रन्थ । मूल्य १) अपूर्व ग्रंथ । मू० २॥) नेमिनिर्वाणकाव्य-यह काव्य महाकवि अलंकार चिन्तामणि-अजित सेनाचार्य कृत वाग्भट्टकृत है । इसमें नेमिनाथ राजुलका चरित्र है। अलंकारका ग्रन्थ । मूल्य ॥) आने । . इसकी काव्यशैली बहुत अच्छी है । मूल्य ॥2) आप्तपरीक्षा--मूल पाठ मात्र । मूल्य एक आना परीक्षामुख--प्रमेयरत्नमाला टीकासहित-मूल आप्तमीमांसा-मूल्य एक आना। ग्रन्थ श्रीमाणिक्यनन्दिकृत और टीका श्रीअनन्तवीर्य कात्रंतपंचसंधि--भाषा टीका सहित । मूल्य आचार्यकृत । मूल्य ॥) दो आने। __ पाश्र्वाभ्युदयकाव्य सटीक--आदिपुराणके काव्यानुशासन--सटीक । महाकवि वाग्भट्ट कर्ता भगवज्जिनसेनने इस अपूर्व ग्रन्थकी रचना की कृत अलंकार ग्रंथ । मूल्य सात आने । है। इसमें कालिदासकविका बनाया हुआ मेघदूत. काव्यानुशासन--आचार्य हेमचन्द्र विरचित । काव्य सबका सब वेष्टित है । अर्थात् मेघदूतके चोपलालकार चडामणि संज्ञक वृत्ति सहित मूल्य २) श्लोकोंके प्रत्येक पादकी समस्यापूर्ति करके यह ग्रन्थ काव्यमाला सप्तम गुच्छक-इसमें भक्तामर, बनाया है। मूल्य बारह आने । कल्याणमंदिर, सिंदूरप्रकरण आदि २३ स्तोत्र हैं। पार्श्वनाथ चरितकाव्य-महाकवि वादिमूल्य एक रुपया। राजसूरि कृत । मूल्य लागतका आठ आने । काव्यमाला तेरहवाँ गुच्छक-वादिचन्द्र . २. पंचपरमेष्ठी पूजा-यशोनन्दि आचार्य कृत । सूरिकृत पवनदूत काव्य और धन्यराज कृत शंगार, , मूल्य चार आने नीति और वैराग्यशतक तथा अन्यान्य वैष्णव पंचस्तोत्र-भक्तामर, कल्याणमंदिर, एकीकवियोंके काव्य भी शामिल हैं । मू. एक रुपया ।। भाव, विषापहार और भूपाल चतुर्विशतिका इन गणरत्नमहोदधि--श्रीवर्धमान नामके एक . ५ स्तोत्रोंका संग्रह । मूल्य दो आने। जैन विद्वानका बनाया हुआ व्याकरणका अपूर्व ग्रन्थ । प्रमेयकमलमाता-श्रीप्रभाचन्द्राचार्य विर मूल्य दो रुपया । गोमहसार--( जीवकांड ) उत्थानिका मूल. चित जैन दर्शनका यह बहुत ही उच्चकोटिका न्याय - प्रन्थ है । जैनधर्मके मान्य सिद्धान्तोंका इसमें बड़े गाथा और संस्कृत छाया सहित । मूल्य ।)। . पाण्डित्यके साथ निरूपण किया गया है । मूल्य चार चन्द्रप्रभचरित--इसमें चन्द्रप्रभतीर्थकरका प रुपये। वित्र चरित्र है । महाकवि वीरनन्दि विरचित देखने मोक्षशास्त्र-मूल । मूल्य) योग्य महाकाव्य है। इसकी रचना रघुवंशके ढंगकी है । मूल्य ।) यशोधरचरित-वादिराजसूरि कृत। मूल्य जैनस्तोत्रसंग्रह-इसमें भक्तामर. कल्याण- आठ आने । मंदिर, विषापहार, एकीभाव और जिनचतुर्विशतिका यशस्तिलकचम्पूकाव्य-यह नीतिवाक्याये ५ मूलस्तोत्र हैं । मूल्य चार आने । मृतके कर्ता श्रीसोमदेवसूरि विरचित महाकाव्य है । - जैननित्यपाठसंग्रह--इसमें पंचस्तोत्र, सहस्र- इसमें यशोधर महाराजका पवित्र चरित्र है । मूल्य . नाम, तत्त्वार्थसूत्रादि १६ पाठ दिगम्बरी श्वेताम्बरी प्रथम खंडका ३।।) उत्तरखंडका २॥) दोनों प्रकारके जैनी भाइयोंके हितार्थ संग्रह किये हैं। लघीयस्त्रयादि संग्रह- इसमें चार अन्ध हैं। रेशमी जिल्दका बहुत ही सुंदर गुटका है । मूल्य पहला भट्टाकलंकदेव कृत लघीयत्रय अनन्तकीर्ति छह आने । .. रचित तात्पर्यवृत्ति सहित, दूसरा भट्टाकलंकदेव कृत Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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