Book Title: Jain Hiteshi 1917 Ank 01 02
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 106
________________ बृहद्रव्यसंग्रह-सरल हिन्दी भाषाटीका तथा विद्वान्का बनाया हुआ सबसे पहला यही कोश है। संस्कृतटीका सहित । छोटा द्रव्यसंग्रह जो छप चुका बहुत ही अच्छा और बड़ा कोश है । अमरकोश आदि है, उसीकी यह संस्कृत और बड़ी भाषाटीका है। प्रचलित कोशोंसे यह बहुत ही बड़ा और विलक्षण मूलगाथाके नीचे उसकी संस्कृत छाया, और फिर है। यह मेदिनीके ढंगका नानार्थ कोष है । कवियों श्रीब्रह्मदेवसूरिकृत संस्कृतटीका, तत्पश्चात् पं. जवाह. तथा विद्वानोंके बड़े कामका है। सरस्वतीप्रचारक रलालजीकृत भाषाटीका इस क्रमसे यह ग्रन्थ छपा है। सेठ नाथारंगजी गांधीने केवल ग्रन्थप्रचारकी बुद्धिसे मूल्य दो रुपये। इसको प्रकाशित किया है और मूल्य भी स्वल्प भगवतीआराधनासार-यह ग्रन्थ पं० रक्खा है । मूल्य एक रुपया सात आने । सदासुखदासजीकृत वचनिका सहित ज्योंका त्यों खुले शील और भावना--मुन्शीलाल एम. ए. पत्रोंपर छपा है। इसमें अन्तिम सल्लेखनाका अपूर्व कृत । मुल्य डेढ आना। शान्तिदायक वर्णन है । मूल्य चार रुपये। श्रेणिक चरित-इसकी कथा बड़ी हो सुन्दर भक्तामरकथा-(मंत्रयंत्र सहित ) इसमें पहले है। आजकलकी भाषामें संस्कृतपरसे अनुवाद हुआ भक्कामरके मूलश्लोक फिर हिन्दी पद्यानुवाद, बाद है। कपडेकी बहत सन्दर जिल्द । की है। मलका खुलासा भावार्थ, फिर भक्तामरके मंत्रोंको सिद्ध श्रेणिकचरितसार--मूल्य तीन आने । करनेवालोंकी ३३ सुन्दर कथायें, इसके बाद अन्तमें षटपाहड..-श्रीकुन्दकुन्दाचार्य के बनाये हुए मंत्र, ऋद्धि और उनकी साधनविधि तथा अड़तालीस दर्शन, सूत्र, चरित्र, वोध, भाव और भावलिंग इन ही श्लोकोंके अड़तालीस यंत्र, इस प्रकार योजना छह पाहुडोंकी मूल गाथा और संस्कृतछाया सहित करके सर्वसाधारणके लाभार्थ यह ग्रन्थ छपाया गया भाषाटीका है । मूल्य एक रु० । है। थोडीसी प्रतियें रही हैं । मूल्य सवा रु.। .. सर्वार्थसिद्धि भाषावचनिका-तत्त्वार्थसूत्रकी · महेन्द्रकुमार नाटक-इसकी उत्तमता और पूज्यपादस्वामीकृत सर्वार्थसिद्धिटीका बहुत प्राचीन उपयोगिता बांचकर ही जानी जा सकती है। छपाईकी और प्रामाणिक टीका है । यह उसीकी पं० जयचन्दजी सुन्दरता देखने योग्य है । मूल्य छह आने । कृत भाषावचनिका है। प्रत्येक सूत्रका खूब विस्तारके महावीरचरित-ब्रह्मचारी शीतलप्रसादजी साथ अर्थ किया है । बड़े टाईपमें खुले पत्रोंपर छपी रचित। मूल्य एक आना। है। सब पृष्ठ ९०० के लगभग हैं, तो भी मूल्य ४) । माणिक विलास-माणिकचंदजीके १२५ पदोंका सम्यक्त्व-कौमुदी--यह जैन कथा-साहित्यका संग्रह । मूल्य चार आने। सुन्दर प्रन्थ है । इसमें सम्यक्त्व प्राप्त करनेवालोंकी यशोधर चरित--इसमें यशोधर महाराजका आठ मनोहर और धार्मिक कथायें हैं। यह हिन्दी चरित बड़ी सुन्दरतासे लिखा गया है । इसके पढ़नेसे भाषामें अनुवाद होकर अभी ही प्रकाशित हुआ है । हृदयमें करुणारसका प्रवाह बह उठता है । कीमत चार आना । इसकी सरल और सुन्दर बोलचालकी संस्कृत भाषा - यशोधरचरित--मूल प्राकृत और हिन्दी अर्थ द्वारा विद्यार्थीगण भी लाभ उठा सकें, इसलिए इसे सहित। मूल्य दो रुपये। . संस्कृत सहित छपाया है। कीमत सादी जिल्द १०), लघु अभिषेक-मूल्य ढाई आने। कपड़ेकी पकी जिल्दका एक रुपया छह आने । वसुनन्दि श्रावकाचार-हिन्दी अर्थ सहित। सभाष्यतत्त्वार्थाधिगमसूत्र--इसका दूसरा सभाज्यतर मूल्य आठ आने। नाम तत्त्वार्थाधिगम मोक्षशास्त्र भी है। जैनियोंका यह वर्ष प्रबोध--जैनाचार्य रचित ज्योतिष ग्रन्थ। परममान्य और मुख्य ग्रन्थ है । इसमें जैनधर्मक मूल्य बारह आने । संपूर्णसिद्धान्त आचार्यवय श्रीउमास्वाति (मी) जीने विश्वलोचनकोश-श्रीश्रीधरसेन कविपंडितका बड़े लाघवसे संग्रह किया हैं । ऐसा कोई भी जैनअपूर्व कोश हिन्दी भाषाटीका सहित । एक जैन सिद्धान्त नहीं है जो इसके सूत्रोंमें गर्भित न हो। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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