Book Title: Jain Hiteshi 1917 Ank 01 02
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 104
________________ अर्थ, फिर सरल भावार्थ, इसके बाद प्रश्नावली है। जैननियम पोथीप्रत्येक मंगलके अन्तमें उसका सार भाग भी दे दिया जैन जगदुत्पत्ति-- है । अर्थ कई विद्वानों की सम्मतिसे लिखा गया है। जैनजागरफी-स्यादवाद वारिधि पं० गोपालमूल्य तीन आने। दासजी कृत जैन मतानुसार भूगोलका वर्णन । मूल्य जिनेन्द्रगणगायन-अनेक कवियोंक नई तर्जके दा आन। ८० पद और भजनोंका संग्रह । मूल्य दो आने । " जंबूस्वामी चरित-मास्टर दीपचंदली उपदेशक जिनेन्टमतदर्पण-जैन धर्मकी प्राचीनताको राचत हिन्दा भाषाम । मूल्य चार आन । सिद्ध कर दिखानेवाली इस छोटीसी पुस्तकका मूल्य दशलक्षणधर्म--पं० सदासुखदासजी कृत सवा आना । दूसरा भाग मूल्य चार आने । रत्नकरंड श्रावकाचारमें जो दशलक्षण धर्मका वर्णन जैनाण-नित्य पाठ करने योग्य एक सौ वर्णन किया गया है । मूल्य पाँच आने ।। किया गया है । उन्हीं दशलक्षण धर्मोंका इस पुस्तकमें पाठोंका उत्तम संग्रह । मूल्य सादीका १) कपड़ेकी दशलक्षणधर्मसंग्रह-दशलक्षणी पूजा, उसकी जिल्दका सवा रुपया। जयमाल और सदासुखजीकृत विस्तृत दशलक्षण जैननित्यपाठ संग्रह-संस्कृतके नित्य पाठ धर्मके वर्णन सहित। मूल्य छह आने । करने योग्य १६ स्तोत्रोंका संग्रह । रेशमी जिल्द । दिगम्बर जैन डाइरेक्टरी-समस्त भारतमूल्य छह आने। वर्षके दिगम्बर जैन भाइयोंकी गणना, प्रत्येक प्रामके जैनतीर्थयात्राविवरण-इसमें सर्व ही तीर्थ- जैन मुखियोंके नाम,गृहसंख्या, मंदिर आदिका विवरण क्षेत्रोंके मार्ग आदि तथा अन्य आवश्यकीय बातोंका बहत खोज और धनव्यय करके लिखा गया है । पूरा खुलासा दिया गया है । साथमें भारतवर्षका का १५००पृष्ठकी महत्त्व पूर्ण पुस्तकका मूल्य आठ रुपये। नकशा और श्रीसम्मेदशिखरजी तथा गिरनारजीकी ' का द्वादशानुप्रेक्षा--बारह भावना । श्रीयुत बाबू -फोटो भी हैं। मूल्य छह आने । दयाचंदजीने श्रीस्वामी समन्तभद्राचार्य कृत रत्नकरजैनतीर्थयात्रादर्पण-इसमें समस्त जैनतीर्थोंका डश्रावकाचारकी भाषा वचनिकाके आधारसे लिखा कुल हाल, और हिन्दुस्थान भरके जैन तीर्थीका एक है। संसारभोगोंसे विरक्त करनेवाली कुंजियाँ यह नकशा भी दिया गया है । इसके सिवा प्रसिद्ध बारह भावनायें हैं । मूल्य छह आने । नगरोंका विवरण और रेल्वे मार्गों का खुलासा वर्णन है । द्रव्यानुयोगतर्कणा--इस ग्रंथमें शास्त्रकार श्री. मूल्य दो रुपये। मद्भोजसागरजीने सुगमतासे मन्दबुद्धिजीवोंको द्रव्य- जैनस्तोत्ररत्नाकर--इसमे श्वेताम्बर भाइयोंके ज्ञान होनेके लिए अथ, “ गुणपर्ययवद्रव्यम्" इस नित्यपाठ करने योग्य ९ स्मरण और ५ स्तोत्र हैं । महाशास्त्र तत्त्वार्थसूत्रके अनुकूल द्रव्य--गुण तथा मूल्य चार आने। अन्य पदार्थोंका भी विशेष वर्णन किया है और जैनसम्प्रदायशिक्षा--श्वेताम्बर धर्मोपदेष्टा प्रसंगवश ‘स्यादस्ति' आदि सप्तभंगोंका और यति श्रीपालचन्द्र रचित। यह बड़े महत्त्वका ग्रन्थ दिगंबराचार्यवयं श्रीदेवसेनस्वामी विरचित नयचक्रा समें स्वीपरुषोंके धर्म, संस्कार, आरोग्य रक्षाके आधारसे नय. उपनय तथा मलनयोंका भी विस्तारसे नियम, देशी और अंगरेजी रीतिसे रोगोंके निदान वर्णन किया है । मूल्य दो रु.। और चिकित्सा, फल, तरकारी, कन्द और समस्त धन्यकुमारचरित्र--श्रीसकल कीर्ति आचार्यके भोज्य पदार्थोंके गुण दोष और सैकड़ो जानने योग्य बनाये हुए संस्कृत धन्यकुमारचरित्रका यह हिन्दी उत्तम उत्तम विषयोंका समावेश किया गया है। अनुवाद पं० उदयलालजी काशलीवालने किया है । ८०० पृष्ठोंके उत्तम कपड़ेकी जिल्द बंधे हुए ग्रंथका कथा बहुत रोचक है । इसमें दानकी महिमा दिखलाई मूल्य केवल ३॥) । है। भाषा सबकी समझे आने योग्य है । मूल्य जैनधर्मका.महत्व-- ...मूल्य 1) बारह आने । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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