Book Title: Jain Hiteshi 1917 Ank 01 02
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 112
________________ स्त्रियाँ - प्रतिकूल अवस्था में अपने पति, स्वजन और घरकी कहाँतक सेवा और भलाई कर सकती हैं । यह पुस्तक क्या स्त्री क्या पुरुष सभीके पढ़ने योग्य है । मूल्य छः आना । Life of Mahabir - बाबू माणिक चन्द्रजी बी. ए. एलएल. बी. खण्डवा द्वारा लिखित मूल्य एक रु० । १४ नाम माला—यह कविवर धनंजय कृत नानार्थ कोश है । पं० घनश्यामदासजीने इसकी भाषाटीका की है । अन्तमें शब्द सूची भी लगी हुई है। मूल्य खात आने । बालबोध जैन धर्म शिक्षक प्रथम भाग, बालबोध जैन धर्म रक्षक द्वितीय भागदोनों पुस्तकें पहले पहल जैन धर्मकी शिक्षा ग्रहण करनेवालों और उन्हें पढ़ाने वाले अध्यापकोंके बड़ी कामकी है । बाबू दयाचन्दजी रचित प्रथम भाग और द्वितीय भाग अच्छी तरह पढ़ सकने की रीति नये ढंग से इनमें लिखी गई । इन पुस्तकों का विषय वा अध्यापकके ही समझमें आसकता है और बुद्धि भी बलवान होती है। मूल्य प्रथम भाग 7)| और द्वितीय भाग का ) | है ! "भाषा दर्शन पाठ अर्थ सहित – इसमें पंडित दौलतरामजी कृत स्तुतिका अर्थ और भावार्थ है । मानो यह जैन मतकी सारभूत पुस्तक हिन्दी भावा जाननेवालोंके लिए बनाई है। मूल्य एक थाना । अर्थ प्रकाशिका-यह पं० सदासुखजी कृत तत्त्वार्थं सूत्र के दशों अध्यायोंका सरल अर्थ है । अर्थ बहुत विस्तारपूर्वक है, और बड़ी सरलतासे समझाया गया है । हरएक आदमीके समझ में आसकती है । भाषा पुरानी जैपुरकी है । इस ग्रन्थकी पहले ४ ) कीमत थी । किन्तु अब साढ़े तीन रु० दाम है और पहले की अपेक्षा छपाई बहुत ही उत्तम है। कागज भी मोटा • और चिकना लगाया गया है मंगाने वालोंको शीघ्रता करनी चाहिए । Jain Education International महावीर पुराण - अंतिम तीर्थंकर भगवान् महावीरका अपूर्वं चरित । जिसके देखने के लिए संस्कृत न जाननेवाले भाई बहुत दिनोंसे आशा लगाये हुए थे, वह अब छंपकर तैयार है । मूल्य खुले पत्रोंका १ | ) और कपड़े की सुनहरी जिल्दका दाम १ || ) है | संस्कृत प्रवेशिनी -- ( प्रथम भाग ) संस्कृत सीखनेवाले विद्यार्थियोंके बड़े काम की चीज है । इसके पढ़ने में व्याकरणके कठिन सूत्र और नियमादि नहीं रटने पड़ते हैं। व्याकरण संबंधी समस्त ग्रंथोंका मंथन करके इसकी रचना की गई है। इसमें आये हुए शब्द व धातुओं का मनन करनेसे संस्कृत काव्योंका पठन पाठन संस्कृत में वार्तालाप करना और संस्कृत में अनुवाद करना सुगम हो जाता है । मू० एक रु० । परीक्षामुख - आचार्यवर्य श्रीमाणिक्यनंदि विरचित | जैनन्यायमें प्रवेश करनेके लिए सबसे पहले यही ग्रंथ पढ़ाया जाता है । इसमें मूलके साथ हिन्दी और बंगला टीका भी लगा दी गई है, जिससे इसकी उपयोगित। बहुत बढ़ गई है । मूल्य छह आने । जैनबालबोधक - प्रथम भाग | पं० पन्नालालजी वाकलीवालकृत । यह पुस्तक बहुत दिनोंसे अप्राप्य थी। अब पुनः छपकर तैयार हुई है । मूल्य चार आने । नेमिपुराण - ब्रह्मचारी नेमिदत्तके संस्कृत ग्रन्थका पं० उदयलालजी काशलीवाल द्वारा किया गया अनुवाद | इसमें भगवान् नेमिनाथका चरित्र विस्तार के साथ सरल भाषामें लिखा गया है । मूल्य दो रुपया । कपड़ेकी जिल्दका सवा दो रुपया । सुदर्शन चरित्र - भारक सकलकीर्तिके संस्कृत ग्रन्थका सरल हिन्दी अनुवाद । सुदर्शनस्ठका पवित्र चरित्र सभीके पढ़ने योग्य है । मूल्य नी आने । नोट - सब जगहकी छपी हुई सब तरहकी जैन पुस्तकें यहाँ हरसमय मिलती हैं। किसी भी जैन ग्रन्थकी आवश्यकता हुआ करे, हमको पत्र लिखा कीजिए । पता - जैनग्रंथ रत्नाकर कार्यालय, हीराबाग, गिरगांव - बंबई । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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