Book Title: Jain Hiteshi 1917 Ank 01 02
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 110
________________ (१२) . कामकी है। विद्यार्थियों और नवयुवकोंको अवश्य चित्र इसमें लगाये गये हैं। छपाई बहुत ही सुन्दर पढ़ना चाहिए। मूल्य ढाई आने। है । मूल्य छह आने । चौबेका चिट्ठा-स्वर्गीय बाबू बंकिमचन्द्र बंकिमनिबंधावली-स्वर्गीय बंकिमबाबूके चुने चट्टोपाध्यायके 'कमलाकान्तेर दफ्तर' का अनुवाद । हुए बंगला निबन्धोंका अनुवाद । इसमें धार्मिक, हँसी-दिल्लगीकी बातोंमें सामाजिक, राजनैतिक आदि राजनीतिक, मनोरंजक और साहित्यसम्बन्धी बहुत विषयोंका बड़ी मार्मिकतासे वर्णन किया है। मूल्य उच्चश्रेणीके निबन्ध जो अभी तक हिन्दीमें प्रकाशित ग्यारह आने। नहीं हए थे शामिल किये गये हैं। मूल्य १), सादीका दियातले अंधेरा-छोटीसी शिक्षाप्रद गल्प । बारह आने । पढ़कर आप बहुत प्रसन्न होंगे और यदि अपनी ब्याही बह--ससुराल जानेवाली बहओंके पढस्त्रीको पढ़ाने में लापरवाही करते होंगे तो चिन्तापूर्वक नेके लिए बहुत ही अच्छी, एक अनुभवी विद्वानकी पढ़ाने लगेंगे । मूल्य डेढ़ आना । लिखी हुई शिक्षाप्रद पुस्तक । मूल्य तीन आने । दुर्गादास नाटक-बंग साहित्यमें जो प्रतिष्टा मितव्ययिता-यह यूरोपके प्रसिद्ध लेखक डा0 कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर की है, वही स्वर्गीय द्विजे सेमुएल स्माइल्स साहबकी अंगरेजी पुस्तक 'थिरिफ्ट' न्द्रलालरायकी है; बाल्कि नाटक लिखनेमें तो वे सर्व श्रेष्ठ समझे जाते थे। उन्हींके सर्वश्रेष्ठ नाटक दुगा का हिन्दी अनुवाद है । इस फिजूलखर्ची और विलासिताके जमाने में यह पुस्तक प्रत्येक भारतवासी दासका यह हिन्दी अनुवाद है। अनुवादक हैं प० बालक, युवा, वृद्ध और स्त्रीके नित्य स्वाध्याय करने रूपनारायणजी पाण्डेय। हिन्दीमें अब तक इसकी योग्य है । इसके पढ़नेस आप चाहे जितने अपव्ययी जोड़का एक भी नाटक नहीं है। स्टेज पर अच्छी हों, मितव्ययी संयमी और धर्मात्मा बन जावेंगे। तरह खेला जा सकता है। देशभक्ति और वीरताके . मूल्य ) भाव कूट कूट कर भरे हैं। जोधपुर नरेश जसवंत युवाओंको उपदेश । इस पुस्तकमें जो अभी सिंहके प्रसिद्ध प्रभुभक्त सेनापति राठौर दुर्गादासक अभी युवा अवस्थाको प्राप्त हुए हैं, जो पढ़ रहे हैं, आदर्शचरित्रको लेकर इसकी रचना की गई है। जो विवाह करनेवाले हैं, जिनका विवाह हो चुका है, मूल्य कपड़ेकी जिल्दका सवा रुपया, सादीका ॥)। जिनकी स्त्री आ चुकी है, जो पिता बननेवाले हैं . प्रतिभा-यह उपन्यास मानव-चरितको उदार, अथवा बन चुके हैं, उन सब युवाओंके लिए इतने उन्नत बनानेवाला, आदर्श धर्मवीर कर्मवीर बनाने अच्छे उपदश दिये गये हैं कि उनके अनुसार चलवाला और देशकी वर्तमान आवश्यकताओंको पूर्ण नेसे वर्तमान और आगामी जीवन बहुत ही सुखमय करनेवाला है। मूल्य ११) सादीका १)। __ बन सकता है। प्रत्येक नवयुवकके हाथमें यह पुस्तक पिताके उपदेश-एक आदर्श पिताने अपने जाना चाहिए। इसके प्रभावसे सैकड़ों कुमार्गपर पत्रको जो शिक्षाप्रद चिट्ठियाँ लिखी थीं यह उनका जानेले सम्मख हए युवकोंके जीवन सुधर गये हैं, वे संग्रह है। प्रत्येक विद्यार्थीके पढ़ने योग्य है । मूल्य धर्मात्मा, सदाचारी और देश तथा समाजके सेवक डेढ़ आना। __ फूलोंका गुच्छा-ग्यारह चुनी हुई सुन्दर , बन गये हैं। मूल्य दस आने । सुन्दर गल्पोंका संग्रह । इसकी कहानियाँ मनोरंजक, लन्दनके पत्र-विलायतसे एक भारतवासी सज्जन यहाँके समाचारपत्रों में अपने देशवासियोंके रोचक, चित्ताकर्षक और शिक्षाप्रद हैं। मूल्य नौ आने, कपड़ेकी जिल्दका बारह आने । नाम पत्र छपाया करते थे। उन पत्रोंमेसे कुछ कामके बूढेका ब्याह-एक लोभीने अपनी लड़कीकी पत्रोंका इस पुस्तकमें संग्रह किया गया है । पत्र बड़े शादी एक बूढ़े सेठके साथ कर दी थी, इससे उस ही जोशीले, देशभक्तिपूर्ण और सच्चे हृदयसे लिखे लड़कीकी अंत में कैसी दुर्दशा हुई और सेठकी कैसी हुए हैं । पढ़ते ही देशभक्तिकी बिजली दौड जाती मिट्टीपलीद हुई, इसका हृदयग्राही वर्णन इस खड़ी है। नवयुवकों विद्यार्थियों और लेखकोंको यह पुस्तक बोलाके सुन्दर काव्यमें किया गया है। पाँच बढ़िया अवश्य पढ़ना चाहिए । मूल्य तीन आने । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International

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