Book Title: Ikshukaradhyayan
Author(s): Pyarchandji Maharaj
Publisher: Jainoday Pustak Prakashak Samiti

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Page 25
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir असिमाउसाय नमः मङ्गलाचरणम् मङ्गलं भगवान् वीरो, मङ्गलं गौतमः प्रभुः। मङ्गलं स्थूल भद्रायो, जैन धर्मोस्तुमङ्गलम् ॥१॥ -- - मूल-देवा भवित्ताण पूरे भवम्मि, केई चुया एगविमाणवासी। पुरे पुराणे उसुयारनामे, खाए समिद्धे सुरलोगरम्मे ॥ १॥ सकम्मसेसेण पुराकएणं, कुलेसु दग्गेसु य ते पसूया। निग्विणसंसारभया जहाय, जिणिन्दमग्गंसरणंपवना ॥ २ ॥ छाया-देवा भूत्वा पूर्वस्मिन् भवे,चिच्च्युता एकविमानवासिनः। पुरे पुराण इचुकारनान्नि, ख्याते समृद्ध सुरलोकरम्ये ॥१॥ स्त्रकर्मशेषेण पुरा कृतेन, कुलेषूदग्रेषु ते प्रसूताः। .. निर्वियाः संसारभयाद्धिला, जिनेन्द्रमार्ग शरणं प्रपनाः ॥२॥ For Private And Personal Use Only

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