Book Title: Ikshukaradhyayan
Author(s): Pyarchandji Maharaj
Publisher: Jainoday Pustak Prakashak Samiti
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असिमाउसाय नमः
मङ्गलाचरणम् मङ्गलं भगवान् वीरो, मङ्गलं गौतमः प्रभुः। मङ्गलं स्थूल भद्रायो, जैन धर्मोस्तुमङ्गलम् ॥१॥ --
- मूल-देवा भवित्ताण पूरे भवम्मि,
केई चुया एगविमाणवासी। पुरे पुराणे उसुयारनामे, खाए समिद्धे सुरलोगरम्मे ॥ १॥ सकम्मसेसेण पुराकएणं, कुलेसु दग्गेसु य ते पसूया। निग्विणसंसारभया जहाय,
जिणिन्दमग्गंसरणंपवना ॥ २ ॥ छाया-देवा भूत्वा पूर्वस्मिन् भवे,चिच्च्युता एकविमानवासिनः। पुरे पुराण इचुकारनान्नि, ख्याते समृद्ध सुरलोकरम्ये ॥१॥ स्त्रकर्मशेषेण पुरा कृतेन, कुलेषूदग्रेषु ते प्रसूताः। .. निर्वियाः संसारभयाद्धिला, जिनेन्द्रमार्ग शरणं प्रपनाः ॥२॥
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