Book Title: Haribhadra ke Prakrit Katha Sahitya ka Aalochanatmak Parishilan
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
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वर्णन क्षमता मंडनशिल्प !
भोगायतन स्थापत्य प्ररोचन शिल्प
उपचारवक्रता
ऐतिह्य आभास परिकल्पन
रोमांस योजना
T
औपन्यासिकता
वृत्तिविवेचन
सिद्ध प्रतीकों का प्रयोग और नये प्रतीकों का निर्माण
प्रतीकों की उपयोगिता और वर्गीकरण
कुतुहल की योजना
ज
पात्रबहुलता
औचित्य योजना और स्थानीय विशेषता
चतुर्भुजी स्वस्तिक सन्निवेश उदात्तीकरण
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सामरस्य सृष्टि और प्रेषणीयता भाग्य और संयोग का नियोजन पारा मनोवैज्ञानिक शिल्प
अलौकिक तत्त्वों की योजना मध्यमौलिकता या अवांतरमौलिकता तृतीय प्रकरण
हरिभद्र की प्राकृत कथाओं का आलोचनात्मक विश्लेषण आलोचनात्मक विश्लेषण के आधारभूत सिद्धान्त समराइच्चकहा के भव या परिच्छेदों का पृथक् अस्तित्व प्रथम भव की कथा आलोचनात्मक विश्लेषण द्वितीय भव की कथा -- आलोचनात्मक विश्लेषण तृतीय भव की कथा -- आलोचनात्मक विश्लेषण चतुर्थ भव की कथा -- आलोचनात्मक विश्लेषण
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